ओलिंपिक पदक के लिये कड़ी मेहनत करूंगी : दीपा कर्मकार
|ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने का बरसों पुराना सपना पूरा होने के बाद भारत की इतिहास रचने वाली जिमनैस्ट दीपा कर्मकार ने गुरुवार को कहा कि वह इस साल रियो ओलिंपिक में पदक जीतने के लिये कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ेंगी। ओलिंपिक क्वॉलिफाइंग टूर्नमेंट के जरिये रियो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने वाली दीपा पहली भारतीय महिला जिमनैस्ट बनीं।
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दिल्ली पहुंचने के बाद उसका भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘जब से मैने जिमनैस्टिक शुरू किया है, मैं ओलिंपिक खेलना चाहती थी। मैने सपना देखा था कि एक दिन ओलिंपिक में अपने देश का नाम रोशन करूंगी। मैने ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ कर लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘अब मैं पहले से ज्यादा मेहनत करुंगी और उम्मीद है कि रियो ओलिंपिक में पदक जीत सकूं। मैं पूरा प्रयास करूंगी कि इतिहास रचती रहूं। यही मेरा लक्ष्य है।’
ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करने में लगी मेहनत के बारे में उसने कहा, ‘मैं पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के जरिए ही ओलिंपिक के लिये क्वॉलिफाइ करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद मैने रियो टेस्ट इवेंट को लक्ष्य बनाया और मुझे लक्ष्य हासिल करने की खुशी है।’ तमाम प्रशंसाओं के बावजूद त्रिपुरा की इस जिमनैस्ट ने कहा कि वह खुद को स्टार खिलाड़ी नहीं मानतीं।
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दीपा ने कहा, ‘मैं कोई स्टार नहीं हूं। मैं इस तरह से नहीं सोचती। मेरा काम मेहनत करते रहना है। ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना मेरा लक्ष्य है।’ यह पूछने पर कि ओलिंपिक की तैयारी के लिये भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा मुहैया कराया गया बुनियादी ढांचा ठीक था, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यहां बुनियादी ढांचा अच्छा है। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में फोम की पिट है और साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने मुझसे दो दिन में नया स्प्रिंगबोर्ड लगवाने का वादा किया है। अब मेरा पूरा फोकस अभ्यास पर है।’
दीपा ने अपना ओलिंपिक क्वॉलिफिकेशन कोच बिशेश्वर नंदी को समर्पित किया जो पिछले 16 साल से उनके कोच हैं। उन्होंने कहा, ‘यह काफी कठिन था लेकिन मेरे पास उनके जैसा महान मेंटर है जिनकी वजह से मैं यहां हूं। अगर वह नहीं होते तो मुझे कोई नहीं पहचानता। मैं अपनी उपलब्धि उनको समर्पित करती हूं।’
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नंदी ने कहा कि दीपा ने अभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया है और परफेक्शन की ललक उसे दूर तक ले जायेगी। उन्होंने कहा, ‘वह परफेक्शन की भूखी है और जिद्दी भी है । वह जो ठान लेती है, करके ही मानती है । उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी बाकी है और वह रियो में इससे बेहतर कर सकती है।’
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