बेंगलुरु के इंजिनियर्स बन रहे हैं डिलिवरी बॉयज़
|शॉपिंग और फूड पॉर्टल्स ने देश के बाजारों और खरीददारी के तरीकों को बदलकर रख दिया है, और अब ये युवाओं के करियर पर भी बड़ा असर डाल रहे हैं। इसी का नतीजा है कि इंजिनियरिंग जैसे क्षेत्र में भी डिग्री होने के बावजूद युवा डिलिवरी बॉय तक बनने को तैयार हैं।
बेंगलुरु के डी. कुमार ऐसे ही युवाओं में से एक हैं जिन्होंने साल 2014 में मकैनिकल इंजिनियरिंग में अपना बी. टेक पूरा किया। कोर्स खत्म होने के बाद उन्होंने 12 हजार रुपये मासिक के पैकेज पर एक कंपनी भी जॉइन की। लेकिन सभी डिडक्शंस के बाद उन्हें मात्र 9 हजार रुपये ही मिल पाते थे, जो कि बेंगलुरु जैसे शहर में रहने के लिए काफी नहीं थे। यही हाल लगभग सभी कंपनियों का था।
ऐसे में उन्होंने पार्ट टाइम जॉब करने का मन बनाया और कुछ समय बाद ही ‘पेटू डॉट इन’ में डिलिवरी बॉय के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। यहां इन्हें 20 हजार रुपये मासिक सैलरी के अलावा पेट्रोल भत्ता और एक्सट्रा वर्क के लिए बोनस भी मिला।
आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि इस तरह की जॉब्स में कॉलेज ड्रॉपआउट्स या कम पढ़े-लिखे लोग आते हैं। लेकिन अब कुमार जैसे युवा जो वेल ड्रेस्ड और वेल एजुकेटेड हैं, बड़ी ही शिष्टता के साथ पेश आते हुए आपका खाना डिलिवर कर रहे हैं।
इस तरह के बदलाव का सबसे अहम कारण अच्छी सैलरी और काम का आसान होना बताया जा रहा है। कंपनियां भी अब लॉन्ग टर्म एक्सपैंशन को ध्यान में रखते हुए पढ़े-लिखे युवाओं की तलाश कर रहीं हैं। पेटू डॉट इन के ऑपरेशन हेड रवि कुमार कहते हैं, ‘हम पढ़े-लिखे डिलिवरी बॉयज की भर्ती पर जोर देते हैं और उन्हें आगे बढ़ने का पूरा मौका देते हैं। हम उन्हें मैनेजर की पोस्ट तक प्रमोट करते हैं।’
वह बताते हैं कि शहर में उनके साथ 50 से ज्यादा डिलिवरी बॉयज काम करते हैं जिनमें से कम से कम 40 फीसदी इंजिनियरिंग ग्रेजुएट्स हैं। उनकी टीम में महज 20 फीसदी ऐसे डिलिवरी बॉयज हैं जो ग्रेजुएट नहीं हैं। उन्हें 20 हजार रुपये प्रतिमाह तक की सैलरी के अलावा विभिन्न भत्ते, यूनिफॉर्म और स्मार्टफोन भी दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें अब डिलिवरी बॉयज़ नहीं बल्कि डिलिवरी एग्जिक्युटिव कहा जाने लगा है।
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