काले धन पर दाखिल RTI के जवाब में नियमों का हवाला देकर पर्देदारी
|केंद्र सरकार ने जुलाई से सितम्बर 2015 तक विदेशों में रखे काले धन के बारे में जानकारी देने के लिए एक अभियान चलाया था इस दौरान 638 लोगों ने 4147 करोड़ रुपये विदेश में रखे होने की जानकारी सरकार को दी थी। बताया गया था कि इनमें बड़ी संख्या में डॉक्टरों और इंजिनियरों की रही है। इसी से संबंधित एक आरटीआई मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने 8 अक्टूबर, 2015 को दाखिल की थी और कुछ 6 सवाल पूछे। लेकिन, जवाब में एक तो नियमों का हवाला देकर जानकारियां देने से इनकार कर दिया गया। साथ ही यह भी कहा गया की जानकारी देने में जनहित का कोई सरोकार नहीं पूरा होता। गौड़ ने ये छह सवाल पूछे थे…
1. क्या इनमें ऐसा कोई भी व्यक्ति है जो पूर्व प्रधानमंत्री या उनके परिवार से संबंधित रहा हो? 2. इनमें से ऐसे कितने व्यक्ति हैं जो वर्तमान या पूर्व संसद सदस्य, वर्तमान या पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान या पूर्व राज्यपाल, वर्तमान या पूर्व विधान मंडल सदस्य या इनके परिवारों से हैं? 3. ऐसे व्यक्तियों की संख्या कितनी है जो मौजूदा या रिटायर्ड नौकरशाह हैं या इनके परिवारों से हैं? 4. उन व्यक्तियों के नाम जो उद्योगपति/व्यवसायी या इनके परिवारों से हैं? 5. ऐसे कितने लोग हैं जो फिल्म जगत से जुड़े हैं? 6. अन्य कारोबार से संबंधित ऐसे लोगों की संख्या कितनी है?
आवेदन में यह भी कहा गया था कि कालेधन को लेकर जनमानस में चल रही बहस के दौर में ऐसे नामों का खुलासा करने से जनता में शासन के प्रति अच्छा संदेश जाएगा। लेकिन, किसी कारण से ऐसे लोगों के नामों की जानकारी या पहचान आरटीआई में देने में परेशानी हो तो कम से कम विभिन्न वर्गों से संबंधित लोगों की संख्या ही बता दी जाए। लेकिन, जवाब में नाम तो बताना दूर, संख्या भी नहीं बताई गई और इस पर्देदारी के लिए आड़ लिया गया नियमों का। जवाब में कहा गया कि जिस संबंध में सूचना मांगी गई है वह थर्ड पार्टी इन्फर्मेशन (तीसरे पक्ष से जुड़ी सूचना) है। इसलिए, आरटीआई ऐक्ट 2005 की धारा 8 (1)(i) के प्रावधानों के तहत इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती और वैसे भी जानकारी मुहैया कराने में जनहित का कोई व्यापक सरोकार शामिल नहीं है।
जवाब में यह भी कहा गया कि अगर आप इस जवाब से संतुष्ट नहीं हों तो आप यह पत्र मिलने के 30 दिनों के अंदर अपीलीय प्राधिकार में अपील कर सकते हैं। इसमें नई दिल्ली के प्रत्यक्ष कर भवन स्थित इनकम टैक्स कमिश्नर (अपीलीय प्राधिकार) का पता भी बताया गया।
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