सिग्नेचर ब्रिज पर अड़चन, लेकिन सरकार को एमसीडी का फ्लाईओवर चाहिए !
| रामेश्वर दयाल
दिल्ली सरकार ने माना है कि यमुना के ऊपर बन रहा सिग्नेचर ब्रिज कब पूरा होगा, इस बाबत कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता है। लेकिन एमसीडी अपने महत्वकांक्षी रानी झांसी फ्लाई ओवर को हमें दे दे तो हम उसे बहुत जल्द पूरा कर देंगे। सरकार का मानना है कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में लगातार बाधाएं आ रही हैं, जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सेशन में कल पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने विशेष उल्लेख के दौरान यमुना पर बन रहे सिग्नेचर ब्रिज में आ रही अड़चनों पर सरकार का दुख उंड़ेला तो यह भी कहा कि पुरानी दिल्ली में एमसीडी सालों से फ्लाई ओवर बना रही है, लेकिन उसकी लगातार लापरवाही व अकर्मण्यता के कारण यह फ्लाई ओवर बन नहीं पा रहा है, जिस कारण वहां से गुजरने वाले लाखों लोगों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ये दोनों फ्लाई ओवर दिल्ली के लिए खासे महत्वकांक्षी हैं, लेकिन दोनों के निर्माण में खासी अड़चने आ रही हैं और उन्हें सुधारने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सदन में पीडब्ल्यूडी मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की पूर्व सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज को बिना किसी प्लानिंग के शुरू कर दिया, जिस कारण यह अपने निर्माण में लगातार भटक रहा है। उन्होंने कहा कि यह ब्रिज बहुत कम लागत से बन सकता था, लेकिन पूर्व दिल्ली सरकार ने इसकी लागत बढ़ा दी। उन्होंने कहा कि जिस मेन खंबे से इस पुल की शोभा बढ़ेगी, उसी को लगाने में समस्या आ रही है। यह समस्या पाइलिंग और सॉइल सिस्टम से जुड़ी हुई है। इस गड़बड़ को सुधार रहे इंजीनियरों ने बताया है कि डेढ़ माह बाद ही हम बता पाएंगे कि इस पुल को बनने में कितना समय लगेगा, क्योंकि खंबे की समस्या को सुलझाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस पुल को बनाने के लिए कुछ सामान विदेश से भी मंगाया जाना है, जिसे आने में भी वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि साल 2005 में इसके निर्माण की लागत 459 करोड़ रुपये तय की गई थी, जो वर्ष 2010 में बढ़कर 1131 करोड़ रुपये हो गई। अब इसके निर्माण पर कुल 1600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उन्होंने सदन में पुरानी दिल्ली में एमसीडी द्वारा बनाए जा रहे रानी झांसी फ्लाई ओवर का भी मसला उठाया और कहा कि इतने बड़े ब्रिज को बनाने में एमसीडी सक्षम ही नहीं है, इसलिए इस पुल को उसे दिल्ली सरकार को दे देना चाहिए। सरकार उसे बहुत जल्द पूरा कर देगी। उन्होंने कहा कि ये ब्रिज भी सालों से बन रहा है और कब पूरा होगा, ये भी पता नहीं। सदन में नेता प्रतिपक्ष ने उनके इस बयान का विरोध किया और कहा कि मंत्री राजनीति पर उतर आए हैं। उनका कहना था कि यह ब्रिज इसलिए नहीं बन पा रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार इसके लिए बजट ही नहीं दे रही है।
दिल्ली सरकार ने माना है कि यमुना के ऊपर बन रहा सिग्नेचर ब्रिज कब पूरा होगा, इस बाबत कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता है। लेकिन एमसीडी अपने महत्वकांक्षी रानी झांसी फ्लाई ओवर को हमें दे दे तो हम उसे बहुत जल्द पूरा कर देंगे। सरकार का मानना है कि सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में लगातार बाधाएं आ रही हैं, जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सेशन में कल पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने विशेष उल्लेख के दौरान यमुना पर बन रहे सिग्नेचर ब्रिज में आ रही अड़चनों पर सरकार का दुख उंड़ेला तो यह भी कहा कि पुरानी दिल्ली में एमसीडी सालों से फ्लाई ओवर बना रही है, लेकिन उसकी लगातार लापरवाही व अकर्मण्यता के कारण यह फ्लाई ओवर बन नहीं पा रहा है, जिस कारण वहां से गुजरने वाले लाखों लोगों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ये दोनों फ्लाई ओवर दिल्ली के लिए खासे महत्वकांक्षी हैं, लेकिन दोनों के निर्माण में खासी अड़चने आ रही हैं और उन्हें सुधारने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सदन में पीडब्ल्यूडी मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की पूर्व सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज को बिना किसी प्लानिंग के शुरू कर दिया, जिस कारण यह अपने निर्माण में लगातार भटक रहा है। उन्होंने कहा कि यह ब्रिज बहुत कम लागत से बन सकता था, लेकिन पूर्व दिल्ली सरकार ने इसकी लागत बढ़ा दी। उन्होंने कहा कि जिस मेन खंबे से इस पुल की शोभा बढ़ेगी, उसी को लगाने में समस्या आ रही है। यह समस्या पाइलिंग और सॉइल सिस्टम से जुड़ी हुई है। इस गड़बड़ को सुधार रहे इंजीनियरों ने बताया है कि डेढ़ माह बाद ही हम बता पाएंगे कि इस पुल को बनने में कितना समय लगेगा, क्योंकि खंबे की समस्या को सुलझाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस पुल को बनाने के लिए कुछ सामान विदेश से भी मंगाया जाना है, जिसे आने में भी वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि साल 2005 में इसके निर्माण की लागत 459 करोड़ रुपये तय की गई थी, जो वर्ष 2010 में बढ़कर 1131 करोड़ रुपये हो गई। अब इसके निर्माण पर कुल 1600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उन्होंने सदन में पुरानी दिल्ली में एमसीडी द्वारा बनाए जा रहे रानी झांसी फ्लाई ओवर का भी मसला उठाया और कहा कि इतने बड़े ब्रिज को बनाने में एमसीडी सक्षम ही नहीं है, इसलिए इस पुल को उसे दिल्ली सरकार को दे देना चाहिए। सरकार उसे बहुत जल्द पूरा कर देगी। उन्होंने कहा कि ये ब्रिज भी सालों से बन रहा है और कब पूरा होगा, ये भी पता नहीं। सदन में नेता प्रतिपक्ष ने उनके इस बयान का विरोध किया और कहा कि मंत्री राजनीति पर उतर आए हैं। उनका कहना था कि यह ब्रिज इसलिए नहीं बन पा रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार इसके लिए बजट ही नहीं दे रही है।
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