व्यवस्था में अभी भी मौजूद है इंस्पेक्टर राज: वैंकेया नायडू
|केंद्रीय मंत्री एम
उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपनी समझ से एक आजाद हुए देश में विकास को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को प्राथमिकता देने की परिकल्पना की थी। इसके बाद इंदिरा गांधी ने निहित कारणों से हमारे विकास के लिये समाजवादी विकास का रास्ता चुना जो कि बदनाम इंस्पेक्टर राज में तब्दील हो गया।’
उन्होंने कहा, ‘फिर समय ने हमें 1990 के आर्थिक सुधार के रास्ते पर अग्रसर किया और इस दिशा में हमारी कठिन यात्रा बरकरार है। इस पूरे दौर में राज्य की कल्याणकारी भूमिका इसकी दिशासूचक रही।’ शहरी विकास, आवास, शहरी गरीबी उन्मूलन और संसदीय मामलों के मंत्री, नायडू ने कहा ‘इंस्पेक्टर राज धीरे-धीरे धूमिल हो रहा है लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।’
इंस्पेक्टर राज का अर्थ है, फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों के अत्यधिक नियमन एवं निगरानी जो 1970 और 1980 के दशक में बेहद आम था। बढ़ती असहिष्णुता से जुड़ी बहस के संदर्भ में बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हाल में जो कुछ घटनाएं हुई हैं उनकी निंदा की जानी चाहिए। हालांकि, ऐसी घटनाएं सदियों से हो रही हैं और इसको ज्यादा तवज्जो नहीं देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि भारत के बारे यहां के ज्यादातर नागरिकों के मुकाबले वैश्विक विशेषज्ञ ज्यादा उत्साहित हैं। अब समय आ गया है कि हम अब रोजमर्रा के अनुभवों से पैदा निराशावाद को छोड़कर भारत की वास्तविक क्षमता के लिए काम करें।’ उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी संपत्ति और साथ ही चुनौती उसका मानव संसाधन है।
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