राजन ने रेट कट पर किया था मेजॉरिटी को नजरअंदाज
|भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रघुराम राजन पॉलिसी रेट कट पर एक बार फिर मेजॉरिटी अडवाइजर्स के खिलाफ गए। उन्होंने सितंबर के पॉलिसी रिव्यू में 50 बेसिस पॉइंट यानी आधा पर्सेंट का रेट कट करने का फैसला किया जबकि मेजॉरिटी 0.25 पर्सेंट पॉइंट कट के हक में थी।
RBI पॉलिसी रिव्यू में आधा पर्सेंटेज पॉइंट्स का रेट कट करके पॉलिसी रेट को 6.75% पर ले आया गया। रिजर्व बैंक ने इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए 29 सितंबर को यह रेट कट किया था। छह मेंबर्स ने रीपो रेट में कटौती की सिफारिश की थी लेकिन उनमें से सिर्फ दो ने ही कहा था कि 0.50 पर्सेंट की कमी की जाए। एक मेंबर चाहते थे कि रेट कट को 0.25-0.50 पर्सेंट के बीच रखा जाए।
तीन मेंबर चाहते थे कि पॉलिसी रेट में 0.25 पर्सेंट की कमी की जाए। हालांकि एक मेंबर तो रेट जस का तस रहने देना चाहते थे। जो मेंबर ज्यादा रेट कट चाहते थे, उनका मानना था कि 8.5 पर्सेंट ग्रोथ रेट हासिल करने में इंडस्ट्रियल सेक्टर में रिकवरी अहम होगी। बुधवार को जारी मॉनिटरी पॉलिसी पर टेक्निकल अडवाइजरी कमिटी की मीटिंग के ब्योरे के मुताबिक, अभी इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ सुस्त है, कंपनियों के लिए रियल इंटरेस्ट रेट बहुत बढ़ी हुई है और रियल इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी इतनी नहीं है कि उससे कमोडिटी की कीमत में गिरावट का पॉजिटिव असर हो।
गौरतलब है कि सरकार ने आरबीआई के गवर्नर की रेट तय करने की शक्ति में कटौती करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। इसके मुताबिक रेट कट के लिए सात सदस्यों पर आधारित एक कमिटी का गठन किया जाएगा जिनमें चार सदस्य सरकार की ओर से होंगे और तीन आरबीआई की ओर से। आरबीआई के गवर्नर इस कमिटी के चेयरमैन होंगे लेकिन अभी की तरह उनको वीटो पावर नहीं होगा। वह टाई होने की स्थिति में सिर्फ कास्टिंग वोट ही डाल सकेंगे।
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