मीट बैन मूल अधिकार का उल्लंघन : वाम
| बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) शासित कुछ राज्यों में जैन पर्व पर्यूषण के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए वाम दलों ने इसे मूल अधिकारों का हनन बताया। इसने यह भी कहा कि किसी को क्या खाना चाहिए, इसको लेकर सरकार आदेश नहीं दे सकती। वाम दलों ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर आरोप लगाया कि वह अन्य समुदायों पर हिंदुत्व को थोपने की कोशिश कर रहा है और इसे सांस्कृतिक फासीवाद करार दिया। सीपीआई ( कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने एक बयान में कहा, पार्टी का मानना है कि राज्य को यह आदेश नहीं देना चाहिए कि किसी व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और कब खाना चाहिए। इस तरह के कार्य निश्चित राजनीतिक मकसद से सामाजिक असौहार्द पैदा करने वाले हैं। सरकार को इस तरह के कदम से बचना चाहिए। वहीं, सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सिस्ट) ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन और नागरिक स्वतंत्रता के संवैधानिक मूल अधिकारों का उल्लंघन बढ़ता जा रहा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह हिंदुत्व के मूल्यों को थोपने और साम्प्रदायिक धु्रवीकरण करने के आरएसएस के मंसूबे का अभिन्न हिस्सा है। वहीं, सीपीआई(एमएल) ने कहा कि प्रतिबंध चौंकाने वाला है और यह फैसला खतरे की घंटी है। पार्टी के पोलितब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि कुछ लोगों का शाकाहारी भोजन अन्य लोगों पर थोपे जाने का विचार पूरी तरह सांस्कृतिक फासीवाद है। जब अन्य समुदायों के खानपान संबंधी प्रतिबंध हो, तो उन्हें दूसरों पर थोपा नहीं जाना चाहिए। कोई रमजान के दौरान रोजा रख सकता है लेकिन सभी को उपवास के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने जैन पर्व पर्यूषण के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध का आदेश दिया है। हालांकि इस फैसले ने खासतौर पर मुंबई जैसे शहर में विवाद पैदा कर दिया है।
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