92 साल की उम्र में चले सबसे तेज, जीता गोल्ड मेडल
|अगर आप 60 पार की उम्र के बाद स्पीड वॉकिंग को मुश्किल काम समझते हैं, तो विशाखापत्तनम में रहने वाले 92 साल के वल्लभजोसुल्ला श्रीरामुल्लु मिलिए। श्रीरामुल्लु नेवी से कमांडर (रिटायर्ड) हैं। हाल ही में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में चल रही वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016 के 5000 मीटर रेस वॉक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है।
पर्थ में आयोजित हुई इस रेस में श्रीरामुल्लु ने रेकॉर्ड 45 मिनट 15.85 सेकंड में यह रेस पूरी की, उनके बाद न्यू जीलैंड के टियरले पीटर दूसरे स्थान पर रहे। श्रीरामल्लू से पीछे रहे पीटर ने यह रेस 48 मिनट 56.81 सेकंड में यह रेस पूरी की। इस रेस के अलावा श्रीरामुल्लु यहां आयोजित होने वाली 10 और 20 किलोमीटर रेस वॉक में भी हिस्सा लेंगे। उनकी 10 किलोमीटर की रेस 31 अक्टूबर तो 20 किलोमीटर की रेस 4 नवंबर को आयोजित होगी।
इससे पहले वल्लभ ने अगस्त में फ्रांस में हुई 10 किलोमीटर स्पीड वॉकिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था। यह वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप प्रतियोगिता फ्रांस के लियॉन आयोजित हुई थी। फ्रांस में हुई इस चैंपियनशिप प्रतियोगिता में वल्लभजोसुल्ला ने 5, 10 और 20 किलोमीटर प्रतियोगिता में भी भाग लिया था। लेकिन 5 और 20 किलोमीटर की प्रतियोगिता में तो वह बाहर हो गए थे। 1975 में भारतीय नेवी से बतौर कमांडर (रिटायर्ड) वल्लभजोसुल्ला बीते कई सालों से इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं।
दरअसल स्पीड वॉकिंग खेल में ज्यादातर खिलाड़ी नियमों की अनदेखी के कारण बाहर हो जाते हैं। इस खेल में नियम है कि रेस में हिस्सा लेने के दौरान खिलाड़ी के दोनों पैर एक साथ हवा में नहीं रहने चाहिए। तेज चलते हुए पैर कि एड़ी रखते हुए खिलाड़ी का घुटना भी सीधा हो जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो खिलाड़ी को बाहर होना पड़ता है।
रामुल्लु रोजाना स्पीड वॉक का अभ्यास करते हैं और अब तक वह ऐसी कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। 92 साल की उम्र में वल्लभजोसुल्ला की फिटनेस लाजवाब है। फिट रहने के लिए वह रोजाना वेट ट्रेनिंग और नियमित वॉक करते हैं।
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