7 भारतीय फर्मों से मिल रही IS को सप्लाई: ईयू स्टडी

लंदन
भारत की सात कंपनियां उन 22 देशों की कंपनियों की सूची में शामिल हैं जिनके साजो-सामान का इस्तेमाल आईएसआईएस ने विस्फोटक बनाने के लिए किया। यूरोपीय संघ से अधिकार प्राप्त और ‘कॉनफ्लिक्ट आर्ममन्ट रिसर्च’ की स्टडी में कहा गया है कि तुर्की ,भारत, ब्राजील और अमेरिका जैसे 20 देशों की 51 कंपनियों ने ऐसे 700 से अधिक उपकरण बनाए और बेचे जिनका इस्तेमाल आईसआईएस ने आईईडी बनाने के लिए किया।

हालांकि सातों भारतीय कंपनियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। इन्होंने कहा कि वे विस्फोटक सामग्री और उपकरणों को न तो तुर्की भेजते हैं और न ही लेबनान। दो कंपनियों ने इसकी पुष्टि की है कि फ्यूजेज और डेटोनेटिंग कोर्ड्स का सीधे एक्सपोर्ट नहीं होता है लेकिन ट्रेडिंग बिचौलियों और मर्चेंट निर्यातकों के जरिए इनकी बिक्री होती है। हालांकि इसके साथ ही इन कंपनियों ने कहा कि ये प्रॉडक्ट आखिर कहां जाते हैं और कैसे इस्तेमाल होते हैं इसका पता उन्हें नहीं होता।

सीएआर ने एक बयान में कहा कि इस लिस्ट में तुर्की की सबसे अधिक 13 कंपनियां हैं। इसके बाद भारत की सात कंपनियां हैं। इन भारतीय कंपनियों ने डेटोनेटर, डेटोनेटिंग कोर्ड और सेफ्टी फ्यूज का निर्माण किया। भारतीय कानून के तहत इस तरह की सामाग्री का स्थानांतरण करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। सीएआर ने कहा कि भारत से इन सामाग्रियों का निर्यात लेबनान और तुर्की स्थिति कंपनियों को सरकार की ओर से जारी लाइसेंस के तहत किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार आतंकी समूह रिमोट डेटोनेशन के लिए ज्यादातर नोकिया 105 मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। इसमें कहा गया है कि ब्राजील, रोमानिया, रूस, नीदरलैंड, चीन, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य की कंपनियां भी इस सूची में शामिल हैं।

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