50 वर्ष बीतने के बाद आज भी उतनी ही नई है ‘राग दरबारी’, व्‍यवस्‍था पर है कुठाराघात

श्रीलाल शुक्ल अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी भाषा के विद्वान थे। श्रीलाल शुक्ल संगीत के शास्त्रीय और सुगम दोनों पक्षों के रसिक-मर्मज्ञ थे।

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