5 बातें: सिलिकन वैली पूरा करेगी डिजिटल इंडिया का सपना
| ऊर्जा एजुकेशन स्किल्ड इंडिया कनेक्टिविटी पीपल टु पीपल स्मार्ट सिटीज
भारत में लगभग 30 करोड़ की आबादी बिजली आपूर्ति की पहुंच से दूर है। ग्रिड्स और प्लांट्स के फेर में बिजली आपूर्ति ठहर जाती है, यह अच्छा मौका है जहां वैली की सिंपा नेटवर्क्स और टेस्ला जैसी सोलर बैटरी पैक्स तैयार करने वाली कंपनियां यहां निवेश करने को आतुर हो सकती हैं।
10 करोड़ से ज्यादा बच्चे भारत में स्कूल की शक्ल नहीं देख पाते और 10 करोड़ से ज्यादा ऐसे छात्र हैं जो कक्षा 5 में होते हुए भी कक्षा 2 की सामग्री पढ़-लिख-समझ पाने में असमर्थ हैं। हालांकि डिजिटल क्लासरूम व्यवस्था भारत में तेजी पकड़ रही है, ऐसे में निवेश इस क्षेत्र में तेजी पकड़ सकता है।
भारत में अब उस तकनीक पर विचार-विमर्श तेज हो गया है, जिसके दम पर शहर भर में वाई-फाई जोंस बनाईं जा सकें। इस पर भी निवेश के दरवाजे खुल सकते हैं और तकनीक को विकसित करने में भरपूर मदद मिल सकती है।
बीते पांच सालों में दोनों देशों के बीच डिजिटल क्रांति ने लोगों तक सहज रूप से जोड़ा है। सिलिकन वैली बेस्ड ऊबर, टास्करैबिट जैसी कंपनियों ने भारत में जगह बनाई है। यदि इस तरह की नेटवर्किंग को नया आयाम मिलता है, तो भारत को भी इनकी तकनीक का लाभ मिलेगा और हम विकास की राह पर और तेजी से अग्रसर हो सकेंगे।
100 स्मार्ट सिटीज का ड्रीम प्रॉजेक्ट पूरा करने में सिलिकन वैली की अहम भूमिका हो सकती है। डिजिटल और स्किल्ड इंडिया का नारा साकार होते वक्त नहीं लगेगा, यदि सिलिकन वैली का ‘साथ’ मिल जाए। अत्याधुनिक तकनीक से परिणाम न सिर्फ वक्त रहते मिलेंगे बल्कि देशी-विदेशी तकनीक का संगम विकास को नया आयाम दे सकेगा।
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