2 युवकों ने नई पर्वतचोटी की चढ़ाई की, नाम रखा माउंट कलाम

नोएडा

अर्जुन वाजपेयी और उनके पर्वतारोही साथी भूपेश कुमार स्पीति घाटी में स्थित पर पहाड़ की चोटी पर पहली बार चढ़ने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। दोनों ने मिलकर इस चोटी का नाम पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की याद में माउंट कलाम रखा है। स्पीति घाटी में स्थित यह चोटी 19,000 फुट की ऊंचाई से हिमालय का बेहद खूबसूरत नजारा पेश करती है। आज तक इस पर्वत चोटी पर कोई भी नहीं चढ़ सका था।

यह चोटी बारा-सिगरी ग्लैशियर के पास स्थित है। अर्जुन और भूपेश ने इस चोटी पर चढ़ने का फैसला अन्य युवाओं में पर्वतारोहण के प्रति दिलचस्पी पैदा करने के लिए किया। यह चोटी उन पर्वत चोटियों की श्रेणी में आती है जिनकी लंबाई या ऊंचाई 6,000 मीटर या इससे ज्यादा होती है।

अर्जुन और भूपेश दोनों की उम्र 30 साल है। दोनों ही उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। उन्होंने 14 अक्टूबर को यह मिशन पूरा किया। अर्जुन ने नोएडा स्थित अपने घर से फोन पर हुई बातचीत में हमें बताया, ‘यह तकनीकी रूप से काफी चुनौतीपूर्ण पर्वतचोटी है। गहरी बर्फ, छुपी हुई दरारें और बहुत सारी चट्टानों से भरी हुई चोटी है। बेहद ठंडे तापमान पर पर्वत की चढ़ाई करना काफी मुश्किल था, लेकिन हमने इसमें सफलता पाई।’ दोनों पर्वतारोही 20 अक्टूबर को अपने अभियान को पूरा कर वापस लौट आए।

अर्जुन ने बताया कि भारत में लगभग 300 पर्वतचोटियां ऐसी हैं जो कि 6,000 मीटर वर्ग में आती हैं। मई 2010 में माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाले अर्जुन ने बताया, ‘भारत में मौजूद इन पर्वतचोटियों पर जाने के कई मौके हैं। हमने जिस चोटी की चढ़ाई की वहां पहले कोई नहीं चढ़ा था। हमने उसपर चढ़ने का फैसला किया क्योंकि हम युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहते थे।’

अर्जुन ने इस साल मई में नेपाल स्थित माउंट मकालू पर चढ़ने की भी कोशिश की थी, लेकिन नेपाल में आए भीषण भूकंप के कारण वह फंस गए और उन्हें अपना अभियान छोड़कर लौटना पड़ा।

अर्जुन और भूपेश अपने इस ताजा अभियान के लिए 8 अक्टूबर को नोएडा से रवाना हुए थे। वे 9 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश स्थित बाताल कैंप पहुंचे। वहां से उन्होंने स्काउट कैंप (4,100 मीटर), इंटरमीडिएट कैंप (4,400 मीटर), बेस कैंप (4,700 मीटर), समिट कैंप (5,500 मीटर) पर पड़ाव डाला। 14 अक्टूबर की सुबह दोनों 6,180 मीटर ऊंचे अपने लक्ष्य पर पहुंचे और उन्होंने वहां तिरंगा लगाया।

भूपेश ने बताया कि उन्होंने अबतक भारत में 17 चोटियों की चढ़ाई की है। उन्होंने बताया, ‘हम चाहते थे कि हम ऐसी किसी पर्वतचोटी पर चढ़ें जिस पर कोई भी नहीं चढ़ा हो क्योंकि किसी को उसके बारे में पता ही नहीं है।’

चोटी से वापस लौटते समय उन्हें धुंध का भी सामना करना पड़ा। अर्जुन बताते हैं, ‘यह काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था। हमने भारतीय पर्वतारोही फाउंडेशन और अपने दोस्तों को अपनी यात्रा के बारे में बता दिया था ताकि वे हमारी गतिविधियों पर नजर रख सकें।’

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