₹200 और ₹2,000 के खराब नोट न तो बैंकों में जमा होंगे और न ही बदले जाएंगे
|आरबीआई के 200 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए हुए डेढ़ साल हो चुके हैं, लेकिन अगर किसी वजह से गंदे हो जाएं तो इन्हें न तो बैंकों में जमा किया जा सकता है और न ही वहां इन्हें बदला जा सकेगा। इसकी वजह यह है कि करंसी नोटों के एक्सचेंज से जुड़े नियमों के दायरे में इन नए नोटों को रखा ही नहीं गया है।
कटे-फटे या गंदे नोटों के एक्सचेंज का मामला आरबीआई (नोट रिफंड) रूल्स के तहत आता है, जो आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 28 का हिस्सा है। इस ऐक्ट में 5, 10, 50, 100, 500, 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के करंसी नोटों का जिक्र है, लेकिन 200 और 2,000 रुपये के नोटों को इसमें जगह नहीं दी गई है। इसकी वजह यह है कि सरकार और आरबीआई ने इनके एक्सचेंज पर लागू होनेवाले प्रावधानों में बदलाव नहीं किए हैं।
2,000 रुपये का नोट 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद जारी किया गया था जबकि 200 रुपये का नोट अगस्त 2017 में जारी किया गया था। अभी 2,000 रुपये के करीब 6.70 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट सर्कुलेशन में हैं और आरबीआई ने अब 2,000 रुपये के नोट छापना बंद कर दिया है। यह बात 17 अप्रैल को इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रटरी सुभाष सी गर्ग ने बताई थी।
बैंकरों ने कहा कि नई सीरीज में कटे-फटे या गंदे नोटों के बेहद कम मामले सामने आए हैं, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अगर प्रावधान में जल्द बदलाव नहीं किया गया तो दिक्कतें शुरू हो सकती हैं।
आरबीआई का दावा है कि उसने 2017 में ही बदलाव की जरूरत के बारे में वित्त मंत्रालय को पत्र भेजा था। मामले की जानकारी रखनेवाले एक सूत्र ने बताया कि आरबीआई को अभी सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है। बदलाव ऐक्ट के सेक्शन 28 में करने होंगे, जिसका संबंध ‘खो गए, चोरी हुए, कटे-फटे या अशुद्ध नोटों की रिकवरी’ से है।
ईटी के सवालों के जवाब में आरबीआई ने स्वीकार किया है कि नई सीरीज के नोटों की अभी बैंकों में अदला-बदली नहीं की जा सकती है। आरबीआई ने कहा, ‘महात्मा गांधी (नई) सीरीज के नोटों के आकार में बदलाव के कारण एमजी (न्यू) सीरीज में कटे-फटे/अशुद्ध नोटों की अदला-बदली मौजूदा नियमों के तहत नहीं की जा सकती है। इसके चलते आरबीआई (नोट रिफंड) रूल्स 2009 में संशोधन की जरूरत पैदा हुई है। ऑफिशल गजट में बदलावों का नोटिफिकेशन होने के बाद एमजी (न्यू) सीरीज के कटे-फटे/अशुद्ध नोटों की अदला-बदली की जा सकती है।’
हालांकि यह साफ नहीं है कि सरकार ये जरूरी बदलाव करने में इतना समय क्यों ले रही है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सरकार जरूरी बदलाव करने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा, ‘जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा।’
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