हिंदी दिवस पर दिल की छू लेने वाली लव स्टोरी

वाराणसी
कहावत है कि प्यार अंधा होता है, लेकिन यहां बात उस शख्स की हो रही है जिसकी आंखों के आगे बचपन से अंधेरा छाया है। इस शख्स ने हिंदी दिवस पर उसने कुछ ऐसा किया कि दुनिया याद करेगी।

यह शख्स हैं बीएचयू के गोल्ड मेडलिस्ट राजकुमार सिंह। राजुकमार ने 14 सितंबर को बलिया के एक हनुमान मंदिर में अलका सिंह से शादी कर ली। अपनी जिंदगी को गोल्डन डे बनाया। राजकुमार अब अपनी पत्नी अलका की आंखों से दुनिया को देखने के साथ दुनिया को हिंदी से प्यार का नया पाठ भी पढ़ाएंगे। बलिया जिले के बैरिया में सोमवार को हुई इस शादी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।


अलका और राजकुमार
बलिया के टेंगरही गांव में राणा प्रताप सिंह के घर जन्मे राजकुमार को पैदाइश से ही कुछ नहीं दिखाई देता था। बेटे की जिंदगी कैसे कटेगी, यह सोचकर परेशान रहने वाले राणा प्रताप ने बेटे को प्राथमिक शिक्षा बनारस के दुर्गाकुंड के अंध विद्यालय में कराया। शिक्षा में मेहनत से कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए राजकुमार ने बीएचयू में दाखिला लेने के साथ आगे बढ़ते रहे।

हिंदी से एमए में गोल्डमेडल हासिल करने के बाद पीएचडी कर रहे राजकुमार की अंधेरी जिंदगी में तब रोशनी आयी जब बनारस के साकेतनगर कालोनी की अलका सिंह नामक लड़की से परिचय हुआ। नेत्रहीन बच्चों की सेवा व शिक्षा देने में जुटी रहने वाली अलका से संपर्क बढ़ने के साथ दोनों के दिल भी नजदीक आ गये। राजकुमार की पहचानक एक अच्छे उद्घोषक के तौर पर भी होती है।

राजकुमार मेरा दिल के भी राजकुमार अलका ने एनबीटी से बातचीत में कहा कि राजकुमार में मैंने ढेरों अच्छाइयां देखीं। वह दिल का राजकुमार है। घर में मैने जब राजकुमार से शादी की बात की तो मेरे अभिभावक पहले तैयार नहीं हुए। मेरी बातों को सुनने के बाद भी मान गए। आज हम एक दूजे को हो गए। हिंदी दिवस हमारी लाइफ का गोल्डन डे बन गया।

अलका ने जिंदगी को बनाया आसान बीएचयू के गोल्डमेडलिस्ट राजकुमार का कहना था कि अब हमारा जीवन आसान हो गया है। हिंदी दिवस पर हम सात फेरे लेकर अपनी जिंदगी को गोल्डन डे बनाने का काम किया है। राजकुमार की खुशी देखकर उनके पिता राणाप्रताप सिंह भी बहुत खुश है। उनका कहना है आज हमारा पूरा परिवार बहुत ही खुश है। हिंदी को लेकर हम दोनों मिलकर अब एक साथ कुछ नया करेंगे।

रजिस्ट्रार दफ्तर में मुफ्त रजिस्ट्रेशन लोग अलका के हौसले को जहां लोग तारीफ करते नहीं थक रहे थे, वहीं मैरिज रजिस्ट्रार के दफ्तर में इस जोड़े को रजिस्ट्रेशन मुफ्त हुआ। रजिस्ट्रार दफ्तर के कर्मचारियों ने इस काम में पैसा लेने से इंकार करते हुए अलका बेटी है। इस बेटी ने राजकुमार की जिंदगी में रोशनी भरने का जो काम किया उसके आगे हम सब अपना सिर झुकाते हैं। बेटी से पैसे लिए नहीं दिए जाते हैं। कुछ कर्मचारियों ने सगुन की धनराशि भी दी।

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