हालात हैं मुश्किल, लेकिन हौसले कम नहीं
|सिर पर न पिता का साया, न घर चलाने के लिए पैसे… फिर भी यूपी टीम के ये नन्हे सितारे अभावों की धुंध को मात देते हुए अपनी चमक बिखेर रहे हैं। पहले बिहार को 15-0 से और फिर शनिवार को हरियाणा को 3-0 गोल से हराने वाली यूपी टीम में कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनके सिर पर पिता का साया नहीं है या पिता मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। इसके बावजूद ये होनहार स्पोर्ट्स कॉलेजों और कई निजी क्लबों के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए यूपी टीम का हिस्सा हैं।
हॉकी में बच्चों की दिलचस्पी देख परिवारीजनों ने भी पढ़ाई के लिए दबाव डालने की जगह उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। 27वीं अखिल भारतीय केडी सिंह बाबू सब जूनियर प्राइज मनी हॉकी प्रतियोगिता में शामिल यूपी टीम के इन खिलाड़ियों ने एनबीटी से बात कर अपने सपने साझा किए।
मोहम्मद जाहिद लखनऊ में रहते हैं। कक्षा छह में पढ़ते हैं। उनके पिता ड्राइवर हैं। उन्होंने बताया कि हॉकी खेलने को लेकर कभी किसी ने रोक-टोक नहीं की। हमेशा सभी ने साथ दिया। मैच जीता को मिलने वाली रकम पिता जी को दूंगा।
गाजीपुर के रहने वाले मनोज यादव के पिता कई साल पहले गुजर गए थे। पांचवी में पढ़ने वाले मनोज के भाई फर्नीचर की दुकान पर काम करते हैं। उसी से घर का खर्च चलता है। एक दिन देश के लिए खेलने का सपना है। वहीं इसी इलाके में छठी कक्षा में पढ़ने वाले पीयूष सिंह के पिता मजदूरी करते हैं। हॉकी में उनकी दिलचस्पी थी तो उन्होंने पूरा साथ दिया। हॉकी खेलकर मैं अपने देश और परिवार का नाम रोशन करना चाहता हूं।
गाजीपुर में कक्षा-6 में पढ़ने वाले त्रिलोकी बिनबंसी ने बताया, ‘पिता दुकान पर काम करते हैं। उन्होंने मुझे हॉकी खेलता देखा, तो मुझे इसमें ही आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। जीतने के बाद उन्हें प्राइज मनी दूंगा।’
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