हार का एमसीडी चुनाव पर नहीं पड़ेगा असर: मनीष सिसोदिया
|राजौरी गार्डन उपचुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए बहुत खराब रहे हैं और पार्टी का कैंडिडेट तीसरे नंबर पर रहा। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह सीट AAP कैंडिडेट जरनैल सिंह ने जीती थी, लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने राजौरी गार्डन सीट से इस्तीफा दे दिया था। राजौरी गार्डन उपचुनाव में AAP की हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफे से राजौरी गार्डन के लोगों में नाराजगी थी और लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
सिसोदिया ने कहा कि पार्टी ने इलाके के लोगों को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन लोगों को विधायक का छोड़कर जाना पसंद नहीं आया और उन्होंने चुनाव में अपना गुस्सा निकाल लिया। हालांकि सिसोदिया ने साफ कहा कि उपचुनाव के नतीजों का असर एमसीडी चुनाव पर नहीं पड़ेगा। एमसीडी चुनाव में लोग दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के काम के आधार पर वोट देंगे, साथ ही यह भी ध्यान में रखेंगे कि बीजेपी ने पिछले दस साल में एमसीडी की कितनी खराब हालत कर दी है।
सिसोदिया ने कहा कि अब जब वे लोग एमसीडी में राजौरी गार्डन वॉर्ड्स के लिए वोट डालने जाएंगे तो फिर वे एमसीडी के मुद्दों को लेकर वोट देंगे। सिसोदिया ने कहा कि एमएलए चुनाव में राजौरी गार्डन के लोगों की नाराजगी दूर हो गई है और यह बात हमारे लिए अच्छी है। आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव को लेकर जो विजन पेश किया है, उसके आधार पर लोग पार्टी को सपॉर्ट करेंगे। सिसोदिया ने कहा कि हम राजौरी गार्डन के लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि आगे भी हम उनके साथ संवाद स्थापित करते रहेंगे और इलाके में काम करते रहेंगे।
जरनैल सिंह के कार्यकाल में जो विकास कार्य राजौरी गार्डन में शुरू हुए थे वो आगे बदस्तूर जारी रहेंगे और दिल्ली सरकार और भी काम उस इलाके में पहले की तरह कराती रहेगी। उपचुनाव के नतीजों का दिल्ली नगर निगम के चुनाव से कोई ताल्लुक नहीं हैं, निगम चुनाव के मुद्दे अलग हैं और आम आदमी पार्टी पूरी मजबूती से निगम चुनाव लड़ रही है और हम निश्चित तौर पर जीत हासिल करेंगे। सिसोदिया ने कहा कि राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव के नतीजे के आधार पर एमसीडी चुनाव को नहीं जोड़ सकते। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी की पार्टी को 282 सीटें मिली, लेकिन उसके बाद बनारस और लखनऊ उपचुनाव वे हार गए और उसके बाद यूपी जीत गए। उपचुनाव में कुछ लोकल फैक्टर होते हैं।
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