हाईटेक डिफेंस प्रॉडक्शन में शामिल होंगी प्राइवेट कंपनियां, पॉलिसी की रूपरेखा को मंजूरी

नई दिल्ली
हाईटेक डिफेंस प्रॉडक्शन में देश के प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने की पॉलिसी की रूपरेखा को मंजूरी दे दी गई है। इसे देश के सबसे बड़े रक्षा सुधारों में से एक माना जा रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है और फिलहाल देश में रक्षा उत्पादन के लिए वह मोटे तौर पर पब्लिक सेक्टर यूनिटों पर निर्भर है, जिनके कामकाज पर सवाल उठते रहे हैं। सरकार ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत को डिफेंस प्रॉडक्शन का हब बनाना चाहती है। तीनों सेनाओं के साथ उद्योग जगत को भी पिछले दो साल से इस पॉलिसी की गाइडलाइंस का बेसब्री से इंतजार है।

दो कमिटियों ने भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के साथ गठजोड़ करके डिफेंस प्रॉडक्शन में ‘स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप’ की वकालत की थी। शनिवार को रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अगुआई में रक्षा खरीद परिषद की मीटिंग हुई, जिसमें एक ऐसी नीति की रूपरेखा को मंजूरी दे दी गई, जिसमें ट्रांसपैरंट और कॉम्पिटिटिव प्रोसेस के जरिए देसी कंपनियां स्ट्रैटिजिक पार्टनर के तौर पर चुनी जाएंगी।

ये ओरिजिनल इक्विपमेंट बनाने वाली ग्लोबल कंपनियों से गठजोड़ करेंगी ताकि तकनीक का ट्रांसफर हो और देश में रक्षा उत्पादन का इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन तैयार हो सके। पहले फेज में जिन तीन क्षेत्रों में यह पार्टनरशिप सामने आएगी, वे हैं – लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और बख्तरबंद वाहन। आगे चलकर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

पॉलिसी का मकसद देश में डिफेंस इंडस्ट्री के लिए इस तरह का माहौल तैयार करना है, जिससे बड़े कॉरपोरेट्स के साथ मझोले, छोटे और लघु उद्योगों को भी शामिल होने का मौका मिले। साथ ही देश की सुरक्षा जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल हो सके। माना जा रहा है कि नए मॉडल के तहत प्राइवेट कंपनियों को करीब 20 अरब डॉलर का ऑर्डर दिए जाने का इंतजार हो रहा है।

नई पॉलिसी के बारे में 11 मई को इंडस्ट्री से भी राय ली गई थी। इसके बाद 15 मई को भी रक्षा खरीद परिषद की मीटिंग हुई। लगातार बैठकों से फैसला जल्द होने के संकेत मिल रहे थे। अभी इस पॉलिसी को अलग-अलग मंत्रालयों से फीडबैक लेकर सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमिटी के पास भेजा जाएगा, तब अंतिम नीति सामने आएगी। जानकारों का कहना है कि स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप के लिए कुल 10 क्षेत्रों की पहचान हो चुकी है। फिलहाल 3 क्षेत्रों के लिए 6 कंपनियों का पूल चुना जाएगा, जिसमें उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय और तकनीकी क्षमताओं को परखा जाएगा।

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