स्पेशल एरिया में सीलिंग क्यों?
|राजधानी में सीलिंग अभियान को लेकर चल रहे तनाव और अफरातफरी के बीच यह सवाल उठ रहा है कि आखिर मास्टर प्लान में घोषित स्पेशल एरिया के दुकानदारों को सीलिंग की तलवार क्यों लटकी हुई है। स्पेशल एरिया के दुकानदारों को कन्वर्जन चार्ज आदि से छूट मिली हुई है, इसके बावजूद उन्हें चार्ज जमा कराने के नोटिस भी क्यों दिए जा रहे है। माना जा रहा है कि इसके कुछ नियमों और एमसीडी की लापरवाही के चलते ऐसा हो रहा है, जिसका लाभ उठाने में अफसर लगे हुए हैं।
मास्टर प्लान में वॉल्ड सिटी, सदर पहाड़गंज जोन के अलावा करोल बाग एरिया को भी स्पेशल एरिया में रखा गया है। कहा गया है कि यहां पर चल रही कारोबारी गतिविधियां साल 1962 से भी पहले की हैं। इसलिए ये इलाका पहले से ही कमर्शल है। जब ऐसा है तो इन इलाकों को कन्वर्जन चार्ज व अन्य शुल्क से अलग रखा गया है। मास्टर प्लान में निगमों (लोकल एरिया अथॉरिटी) को कहा गया था कि वे इन इलाकों का जोनल प्लान बनाए और उसके अनुरूप इनका विकास करे। लेकिन समस्या यह है कि मास्टर प्लान में इतनी बड़ी छूट देने और जोनल प्लान बनाने के बावजूद वहां सीलिंग की तलवार क्यों लटकी हुई है और दुकानदारों को चार्ज आदि देने को क्यों कहा जा रहा है।
इस मसले पर एमसीडी के बिल्डिंग विभाग के एक आला अधिकारी का कहना था कि जब मास्टर प्लान बनाया गया था तो समाचारपत्रों में यह घोषणा की गई थी कि प्लान में पुरानी दिल्ली को स्पेशल एरिया घोषित कर उसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं, इसके लिए कारोबारी संगठन अपने सुझाव व आपत्तियां भेजे। उन्होंने बतया कि उस दौर में इनकी तरफ से बहुत ठोस सुझाव नहीं मिले, जिसके बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अफसरों ने अपने हिसाब से नियम फाइनल कर दिए। इसमें एक नियम यह था कि स्पेशल एरिया में दुकान साल 1962 से होनी चाहिए। उसमें कोई स्ट्रक्चरल बदलाव नहीं होना चाहिए। तभी उस दुकान को स्पेशल एरिया के तहत छूट मिलेगी। इन नियमों को लागू करने के लिए लोकल अथॉरिटी को यह पावर दी गई कि वह इसे खुद पारिभाषित करे।
अधिकारी के अनुसार सीलिंग के नोटिस इसलिए दिए जा रहे हैं कि यह नियम बना लिया गया कि दुकानदार को साल 1962 से पहले का दस्तावेज दिखाना होगा, जो अधिकतर दुकानदारों के पास नहीं है। उसका कारण यह है कि पुरानी दिल्ली की अधिकतर दुकानें पगड़ी पर बिक चुकी हैं। इसलिए ऐसे दुकानदारों के पास दस्तावेज नहीं है। नियम यह भी बना लिया गया कि अगर दुकान को मालिक के बजाय नया दुकानदार चला रहा है तो उस पर यह नियम लागू नहीं होगा। कारोबारी नेता सुशील कुमार गोयल के अनुसार पुरानी दिल्ली के बाजारों की 70 प्रतिशत से अधिकतर दुकानें बिक चुकी हैं, इसलिए पेच फंसा हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि एमसीडी ने एक गड़बड़ यह भी की कि जिन बाजारों (सड़कों) को स्पेशल एरिया में रखा गया था, उन्हें मिक्स लैंड यूज की सूची में डाल दिया गया और उनका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अब बिल्डिंग विभाग इन सड़कों को स्पेशल एरिया की न मानकर मिक्स लैंड यूज की मान रहा है और कन्वर्जन व अन्य चार्ज के लिए नोटिस जारी कर रहा है। समस्या यह है कि स्पेशल एरिया के अधिकतर दुकानदारों ने चार्ज जमा नहीं करवाएं हैं, इसलिए उन पर सीलिंग की तलवार लटकी हुई है। इस मसले पर चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव का कहना है कि यह सब कुछ एमसीडी के भ्रष्टाचार के कारण हो रहा है। हमने इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Delhi Political News in Hindi, दिल्ली राजनीति समाचार, खबर , Delhi Politics News