स्टरलाइट के 3000 कर्मचारियों का अंधेरे में भविष्य, झेल रहे आर्थिक और मानसिक पीड़ा
|कंपनी के अकाउंट डिपार्टमेंट में 10 साल से काम करनी वाली एक महिला ने कहा, ‘पिछले तीन हफ्ते से पड़ोसियों का व्यवहार मेरे प्रति अच्छा नहीं रहा है। कुछ लोगों ने तो बड़े तीखे तरीके से पूछा कि मैंने उस कंपनी में काम क्यों किया।’ महिला का कहना है कि उसका पति छोटा-मोटा कारोबार करता है और उसकी कमाई ही उसके परिवार के भरण-पोषण का मुख्य जरिया थी। महिला को उम्मीद है कि सरकार प्लांट को फिर से खोलने पर विचार कर सकती है।
प्लांट का बंद होना 900 से अधिक स्थाई कर्मचारियों के लिए एक सदमे जैसा है। कंपनी में 23 साल से काम करने वाले एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर अफवाह फैली और सरकार ने दबाव में फैसला लिया।’
कंपनी से जुड़े 2000 ठेका कर्मचारियों की भी हालत खराब है। तूतीकोरिन स्टरलाइट ऑफ कॉन्ट्रैक्टर्स वेलफेयर असोसिएशन के प्रसिडेंट एस थिआगराजन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि असोसिएशन से करीब 40 ठेकेदार जुड़े हुए हैं। उनके साथ 1500 से 2000 मजदूर ठेके पर काम करते हैं। इनमें से करीब 500 कर्मचारी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के हैं। उनमें से ज्यादातर को वापस भेज दिया गया है। थिआगराजन ने कहा कि कर्मचारी अपने बच्चों की फीस और इमरजेंसी चिकित्सा खर्चों के लिए कर्ज मांग रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘स्टरलाइट से ठेकेदारों का 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान रुका हुआ है। प्लांट सील होने के कारण हमारे कई ट्रक और बड़ी मशीनें उसी में हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि बकाया राशि का भुगतान हो जाए और हमारे वाहन रिलीज कर दिए जाएगा। हम चाहते हैं कि प्लांट फिर से शुरू हो जाए।’
बता दें कि तूतीकोरिन में वेदांता ग्रुप के स्टरलाइट प्लांट का काफी दिनों तक विरोध हुआ। इसके विस्तार की खबर आने के बाद प्रदर्शन तेज हो गया था। भीड़ को उग्र होते देख पुलिस ने ओपन फायरिंग कर दी थी, जिसमें 13 लोगों की जान चली गई थी। बाद में पहली यूनिट को बंद किए जाने के साथ-साथ दूसरी यूनिट के लिए किया गया जमीन आवंटन रद्द कर दिया गया।
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