सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार- उम्रदराज कर्नलों के चलते थी कारगिल युद्ध में सुस्ती

नई दिल्ली. कारगिल युद्ध के 16 साल बाद केंद्र ने यह स्वीकार किया है कि सेना के कर्नलों की ओवरएज के कारण भारत की पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जावाबी कार्रवाई 'सुस्त' थी। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने माना कि उस वक्त सेना की टुकड़ियों का ओवरएज कर्नल नेतृत्व कर रहे थे जिसके कारण दुश्मनों का जवाब देने में देरी हुई। केंद्र ने कहा कि कारगिल के दौरान पाकिस्तानी सेना के कमांडरों की औसत उम्र 37 साल थी जबकि भारतीय सेना के कमांडरों की उम्र 41 साल के करीब थी। बता दें कि चीन की सेना में कमांडरों की औसत उम्र 37 और इजरायल में 32 है जिसके कारण जंग में उन्हें बेहतर परिणाम हासिल होते हैं।    जस्टिस टीएस ठाकुर, आर बनुमति और अमिताव रॉय की खंडपीठ के समक्ष एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ''कारगिल युद्ध के दौरान हमारी जवाबी कार्रवाई में सुस्ती क्यों थी इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनी थी। हमें स्वीकारना होगा कि हमने सुस्ती दिखाई।'' यह स्वीकारोक्ति मौजूदा एनडीए सरकार के लिए विवाद खड़ा कर सकती है क्योंकि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान केंद्र में अटल बिहारी वाजयेपी नेतृत्व…

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