सुपर पावर ही ओलिंपिक टॉपर:बड़ा खर्च, बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग और रिसर्च…जानिए अमेरिका और चीन आगे क्यों

ओलिंपिक का मोटो यानी सूत्र वाक्य तीन लैटिन शब्दों से बना है। सिटियस, अल्टियस, और फोर्टियस। इनका मतलब है फास्टर, हायर और स्ट्रॉन्गर, यानी ज्यादा तेज, ज्यादा ऊंचा और ज्यादा मजबूत। ओलिंपिक का इतिहास देखें तो इसमें वही देश अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं, जो इकोनॉमिकली, स्ट्रैटिजिकली और डिफेंस में सुपर पावर हैं। आखिर सुपर पावर होने और ओलिंपिक का मेडल टॉपर होने में क्या संबंध है। जानिए 5 पॉइंट्स में… 1. मॉडर्न ओलिंपिक में सुपर पावर 2. स्पोर्ट्स पर बड़ा खर्च 3. स्पोर्ट्स का इन्फ्रास्ट्रक्चर अमेरिका और चीन जैसे देशों के लगभग हर बड़े शहर में बेहतरीन स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। इनमें इंटरनेशनल क्वालिटी के स्टेडियम, इक्विपमेंट, हाई परफॉर्मेंस सेंटर, बायोमैकेनिक्स सेंटर आदि शामिल होते हैं। 4. वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग और कोचिंग 5. ओलिंपिक मेडल टॉपर बनने के पीछे सुपर पावर का मकसद आखिरी दो ग्राफिक्स में देखिए कि ओलिंपिक की शुरुआत से अब तक मेडल टेबल के टॉप-2 पोजिशन पर किन देशों का दबदबा रहा है। ग्राफिक्स: कुणाल शर्मा, अंकलेश विश्वकर्मा

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