सीलिंग: ‘मॉनिटरिंग कमिटी को दिल्ली की परवाह नहीं, इन्हें कश्मीर भेजा जाए’
|सीलिंग अभियान से घबराए कारोबारी अब सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी को गरियाने लगे हैं। उनका कहना है कि इन बुजुर्ग नौकरशाहों को दिल्ली की परवाह नहीं है और ये दिल्ली के कारोबारियों को बर्बाद करने में लगे हैं। कारोबारियों का कहना है कि कमिटी मेंबरों को कश्मीर भेजा जाए, वहां ये उग्रवादियों और पाक को मुंहतोड़ जवाब देंगे। व्यापारी नेता पीड़ित दुकानदारों से ‘तन-मन-धन’ से मदद करने का भी आग्रह कर रहे हैं, ताकि सीलिंग के खिलाफ कोर्ट में अपना पक्ष रखा जाए।
लगातार चल रही सीलिंग के खिलाफ कारोबारी संगठनों ने कल चांदनी चौक स्थित घंटाघर पर रैली का आयोजन किया और मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्यों को काफी बुरी तरह से गरियाया। इस रैली का आयोजन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने किया था, जिसमें दिल्ली के सैंकड़ों कारोबारी संगठनों के नेता व प्रतिनिधि शामिल हुए। रैली में भाषण देने वाले नेताओं का रवैया काफी उग्र था।
उनका आरोप था कि सीलिंग अभियान में मॉनिटरिंग कमिटी द्वारा कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमिटी बनाकर उसमें रिटायर सैन्य अधिकारी व बुजुर्ग नौकरशाहों को मेंबर बना दिया है, जिन्हें दिल्ली की कोई परवाह नहीं है। कारोबारी नेता इस बात से खासे गुस्साए हुए थे कि सीलिंग अभियान के दौरान कारोबारियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि इन कमिटी मेंबरों को कश्मीर भेजा जाए ताकि वे वहां उग्रवादियों और पाक सैनिकों को भी सुधार दें। उन्होंने कहा कि असल में इन मेंबरों को दिल्ली के कारोबारी चरित्र की समझ नहीं है। सीलिंग में भेदभाव बरता जा रहा है और विरोध करने पर उन्हें पुलिस द्वारा धमकाया जा रहा है। ये मेंबर सुप्रीम कोर्ट का नाम आगे रखकर मनमानी कर रहे हैं। इनको कौन समझाए, जो दुकानें सालों से चल रही हैं, वे अचानक से अवैध कैसे हो गईं।
कारोबारी इस बात से भी खफा थे कि अवैध निर्माण को शह देने वाले अफसरों और इंजिनियरों के खिलाफ कमिटी ऐक्शन क्यों नहीं ले रही है, जबकि सबसे बड़ा दोष तो इन्हीं का है। कारोबारी नेताओं ने रैली में आए दुकानदारों से गुजारिश की कि वे तन-मन-धन से कारोबारी संगठन की मदद करें। उसका कारण यह है कि सीलिंग के खिलाफ लड़ाई लंबी लड़नी है और हमें सुप्रीम कोर्ट तक अपना पक्ष रखना है।
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