सीलिंग: केंद्रीय मंत्री हरदेव पुरी हमें धमका रहे हैं: मॉनिटरिंग कमिटी
|अवैध निर्माणों के खिलाफ एक्शन करवा रही सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदेव पुरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि वह हमें धमका रहे हैं, साथ ही हमारी छवि खराब कर रहे हैं। कमिटी का यह भी कहना है कि सीलिंग को अंजाम देने वाले निकाय भी सीलिंग करने से इनकार कर रहे हैं और इसके लिए अजीब तर्क दे रहे हैं। कमिटी ने इस आशय की लंबी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कराई है और कहा है कि ऐसी परिस्थितियों में सीलिंग अभियान चलाना मुश्किल हो रहा है। इस मसले की सुनवाई 11 जुलाई को है।
अवैध निर्माण के खिलाफ राजधानी में सीलिंग अभियान फिलहाल बंद पड़ा है। इस एक्शन को अंजाम दे रही है मॉनिटरिंग कमिटी ने इसके कारण बताए हैं और केंद्रीय मंत्री हरदेव पुरी के अलावा स्थानीय निकायों को भी कटघरे में खड़ा किया है। सूत्र बताते हैं कि कमिटी ने इस आशय की विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की है और बताया है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदेव पुरी व एमसीडी और एलएंडीओ इस मसले में गंभीर कोताही बरत रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट में तो पुरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उनके बयान की अखबारों की कटिंग भी रिपोर्ट के साथ चस्पां की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री उन्हें धमका रहे हैं साथ ही परोक्ष रूप से अफसरों व आम जन को हमारे खिलाफ उकसा रहे हैं। कमिटी के अनुसार पुरी ने कहा कि मॉनिटरिंग कमिटी एमसी ऑफिस में बैठकर काम कर रही है और उसे कोई समझ नहीं है। कमिटी का कहना है कि जबकि हम रोज धूप में घूम-घूमकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करवा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरी उकसाने वाली भाषा में बात कर रहे हैं, ताकि जनता का रोष मॉनिटरिंग कमिटी की ओर मुड़ जाए। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अफसरों को भी लगातार धमकी दे रहे हैं कि कमिटी के आदेशों को न माना जाए।
अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने निगमों और एलएंडडीओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं और उदाहरणों सहित समझाया है कि उन्होंने सीलिंग से कैसे इनकार कर दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि कमिटी ने राजौरी गार्डन मार्केट सील करने का आदेश दिया, क्योंकि वह नोटिफाई रोड पर नहीं थी। लेकिन वहां के एमसीडी के डीसी ने अपने कमिश्नर के हवाले से कहा फिलहाल इस रोड का मसला केंद्र के पास है, इसलिए हम वहां सीलिंग नहीं कर सकते। डीसी ने एक वकील का भी हवाला दिया। कमिटी ने लाजपत नगर स्थित अमर कॉलोनी समेत अन्य रिफ्यूजी कॉलोनियों का भी उदाहरण दिया और बताया कि एलएंडडीओ ने वहां हुए सालों पुराने अवैध निर्माणों के खिलाफ एक्शन न करने के लिए अजीब तर्क दिए, जो कानून सम्मत नहीं थे।
इस मसले पर कमिटी के एक सदस्य का कहना है कि हमने पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी है, क्योंकि ऐसे हालातों में सीलिंग करना मुश्किल होता जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या आपकी रिपोर्ट से केंद्रीय मंत्री व निगमों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप बनता है, सदस्य का कहना है कि यह देखना कोर्ट का काम है। फिलहाल इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को सुनवाई होनी है
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