सिविल सेवा में अंकिता ने लहराया परचम, बोलीं- पॉलिटिकल प्रेशर हैंडल करने वाला ही रियल ऑफिसर
|यूपीएससी का एग्जाम पास करने के बाद पद मिलने पर उसकी गरिमा को बनाए रखना एक अफसर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। पॉलिटिकल प्रेशर के बीच आईएएस, आईपीएस अफसर भी कुछ ही समय में उलझने लग जाते हैं। मेरा मानना है पॉलिटिकल प्रेशर को सही ढंग से हैंडल करने वाला ही रियल ऑफिसर है। यूपीएसएसी 2017 में ऑल इंडिया 105वीं रैंक हासिल करने वाली गोरखपुर की अंकिता मिश्रा ने ये बातें कहीं। अंकिता ने अधिकारियों पर दबाव से लेकर शिक्षा में आरक्षण समेत कई अहम बिंदुओं पर एनबीटी से बातचीत की।
दबाव से ऊपर उठने वाला ही रियल ऑफिसर
आईएएस और आईपीएस अफसरों के काम में हस्तक्षेप और अनैतिक दबाव के सवाल पर अंकिता मिश्रा ने कहा कि यह हमेशा बना रहता है। उन्होंने कहा, ‘किसी भी अधिकारी के लिए यह दबाव सबसे बड़ा चैलेंज होता है। हालांकि संविधान के अनुसार अनुचित दबाव होना नहीं चाहिए लेकिन जो अधिकारी इससे ऊपर उठकर अपनी ड्यूटी इमानदारी से निभाते हैं, वही रियल ऑफिसर हैं।’ अंकिता का मानना है कि बिना दबाव के ही अधिकारी निष्पक्ष काम कर सकते हैं।
आरक्षण के विरोध में नहीं हूं
पूर्व में यूपीएससी 2015 की टॉपर और आरक्षण को लेकर उठे विरोध के सवाल पर अंकिता मिश्रा ने कहा आरक्षण बहुत ही कॉम्प्लीकेटेड इश्यू है। अंकिता ने कहा, ‘आरक्षण होना चाहिए या नहीं होना चाहिए कह कर मुद्दा खत्म नहीं कर सकते हैं। फिलहाल पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के आधार पर लोगों को सहयोग की जरूरत है। इनकी शिक्षा के लिए बुनियादी जरूरतें पूरी की जाएं। तब तक आरक्षण रहे और फिर धीरे-धीरे उसे खत्म किया जाए। ऐसे में मैं आरक्षण के विरोध में नहीं हूं।’
कॉलेज तक यूपीएससी में नहीं थी दिलचस्पी
अंकिता के पिता बीके मिश्रा गोरखपुर में बिजनेसमैन हैं। वह दसवीं तक गोरखपुर में ही पढ़ीं। इसके बाद बारहवीं और बीटेक नोएडा से किया। अंकिता ने बताया कि बीटेक तक यूपीएससी के बारे में कभी नहीं सोचा था। फिर कैलिफोर्निया में आगे की पढ़ाई करने का मौका सामने आया लेकिन देश छोड़ने का मन नहीं किया। इसके बाद अंकिता पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए पूरे मन से यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं।
जॉब प्रेशर से बचने के लिए सोशल मीडिया से दूरी
अंकिता ने 2014 में सिविल सर्विसेस की तैयारी शुरू की। 2015 और 2016 में यूपीएससी एग्जाम दिया था, लेकिन सफल नहीं हो पाईं। 2015 में अंकिता ने मेंस भी दिया था। इस बीच उनके दोस्त जॉब और लाइफ में सेटेल हो रहे थे और सोशल मीडिया पर सबको आगे बढ़ता देख एक प्रेशर पैदा हो रहा था। अंकिता ने इसलिए सोशल मीडिया से दूरी बनाई और अपने गोल की तरफ जुट गईं। तीसरे प्रयास में अंकिता ने ऑल इंडिया 105वीं रैंक हासिल की।
ऑप्शनल सब्जेक्ट पर दें ध्यान
अंकिता मानती हैं कि टॉप रैंक पाने में ऑप्शनल सब्जेक्ट बहुत अहम रोल अदा करता है। ऐसे में तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को अपने इंटरेस्ट वाला सब्जेक्ट ही ऑप्शनल में लेना चाहिए। वह कहती हैं, ‘सिविल सर्विसेज में सक्सेस का एक मंत्र है, कभी कन्फ्यूज मत हों। बाजार में स्टडी मटेरियल बहुत है, लेकिन आप मटेरियल सीमित रखें। अपने बनाए नोट्स को पढ़ते रहें। साथ ही टेस्ट सीरिज जरूर देते रहें। और हां हिम्मत मत कभी मत हारें।’
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