सिर्फ छह लोगों को थी 500 और 1000 के नोटों के बंद किए जाने की जानकारी

नई दिल्ली
मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला रातों रात नहीं लिया। इसके लिए योजना छह महीने पहले बननी शुरू हुई थी। इसका मकसद सिर्फ ब्लैक मनी पर कंट्रोल ही नहीं, बल्कि जाली नोटों से निजात पाना भी था।

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरकार के इस फैसले की जानकारी कुछ मुट्ठी भर लोगों को थी। ये लोग थे-प्रिंसिपल सेक्रटरी नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली। सूत्रों के मुताबिक, योजना को लागू करने की प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू हुई। सूत्रों ने अखबार से बताया, ‘हमारी काययाबी की वजह यही है कि हम इस योजना को पर्दे के पीछे रख सके। हालांकि, अचानक से की गई घोषणा की वजह से हमारे सामने इस योजना को लागू करन से जुड़ी कुछ चुनौतियां आने की आशंका है।’

एक अधिकारी ने बताया कि जाली नोट ज्यादा बड़ी समस्या नहीं हैं। ऐसे नोट 400 से 500 करोड़ रुपए के हो सकते हैं। अधिकारी के मुताबिक, बाजार में चल रहे नोटों के मुकाबले, ये रकम बेहद छोटी है। योजना का मकसद ब्लैक मनी पर कार्रवाई है, लेकिन इसके तहत कितनी रकम छिपी हुई है, इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है। एक अन्य अधिकारी का मानना है कि इस नई कवायद की वजह से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और चेक से पेमेंट में काफी तेजी आने वाली है।

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