साजिश कैसी, 17 साल की लड़की को छुआ भी नहीं: महेश शर्मा

नई दिल्ली

संस्कृति मंत्री महेश शर्मा का मानना है कि गोमांस की अफवाह पर पीट-पीटकर मारे गए इखलाक मुहम्मद और उनके बेटे के साथ जो कुछ भी हुआ वह महज एक हादसा था। उनका मत है कि अगर यह सब साजिश के तहत योजना बनाकर किया गया होता तो हमला करने वाली भीड़ घर में मौजूद इखलाक की 17 साल की बेटी को बिना छुए नहीं लौट गई होती।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि मृतक के बेटे दानिश को जिस तरह की चोट लगी है उससे साबित होता है कि उनपर हमला करने वाली भीड़ का मकसद उनको मारना बिल्कुल नहीं था। मालूम हो कि 28 सितंबर को हुए हादसे की रात से ही दानिश नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है। मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमलावर भीड़ ने पीड़ित की बेटी, जो कि घटना के समय घर में ही मौजूद थी, को हाथ भी नहीं लगाया।

यह भी पढ़ें- मोदी के शोर तले हिंसा का दौर चले

इखलाक मुहम्मद को बीते 28 सितंबर को दादरी के बिसाहड़ा गांव में ग्रामीणों की एक भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। ग्रामीणों को शक था कि इखलाक और उनका परिवार गोमांस खा रहा है और उनके घर भी गाय का मांस रखा है। हालांकि अब तक की पुलिस जांच में ग्रामीणों के इस शक को सही साबित करने का कोई भी सबूत या आधार नहीं मिल सका है।

बिसाहड़ा गांव गौतम बुद्ध नगर के अंतर्गत आता है। महेश शर्मा यहीं से सांसद चुने गए हैं।

संडे एक्सप्रेस को दिए गए अपने साक्षात्कार में महेश शर्मा ने कहा, ‘आपने जरूर देखा होगा कि जब भी गोहत्या को लेकर कोई मामला सामने आता है तो मीडिया व बाकी सभी लोग घटना की जगह पर दौड़े चले आते हैं। यह घटना (इखलाक की हत्या) गोवध की घटना के प्रतिक्रिया स्वरूप हुई। आपको इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि घटना के समय घर में 17 साल की एक लड़की भी मौजूद थी। किसी ने उसे अंगुली भी नहीं लगाई।’

महेश शर्मा खुद भी एक डॉक्टर हैं। नोएडा स्थित कैलाश अस्पताल उन्हीं का है। पुलिस इसी अस्पताल में घायल दानिश को इलाज के लिए ले गई थी। दानिश की चोटों के बारे में बोलते हुए महेश शर्मा ने संडे एक्सप्रेस को बताया, ‘जब कभी किसी इंसान पर लाठी से हमला किया जाता है तो वह अपना हाथ आगे कर लेता है। ऐसे में पिटने वाले के हाथ की 5-7 अंगुलियां टूट जाती हैं। मेरे पास डॉक्टर के तौर पर 30 साल का अनुभव है। इखलाक के शरीर और अंगुलियों में 10-15 फ्रैक्चर थे। दानिश मेरे ही अस्पताल में भर्ती है। उसके पूरे शरीर में एक भी फ्रैक्चर नहीं है, बस एक सिर की चोट है। वह चोट तब लगी होगी जब किसी ने उसके सिर पर लाठी से मारा होगा। मार दिया होगा किसी शैतान ने, लेकिन इसका मतलब यह है कि पीट-पीटकर मार डालना मकसद नहीं था। दूसरी बात यह कि किसी ने भी पड़ोस के मुस्लिम घरों की ओर एक पत्थर तक नहीं फेंका। इसलिए इसे सांप्रदायिक रंग देना गलत है।’

संस्कृति मंत्री ने संडे एक्सप्रेस से कहा कि यह हमला गोवध पर एकाएक भड़के लोगों के गुस्से के कारम हुआ। उन्होंने कहा, ‘एकाएक हो गया। गाय के मांस पर हम लोगों का अंदर से आत्मा हिलने लगती है। आप बाकी जानवरों को मार सकते हैं। मटन, लेकिन लोग प्रतिक्रिया नहीं करेंगे। पर जब आप गाय का नाम लेंगे, हमने गाय को अपनी मां माना है, गाय को अपनी मां से जोड़ा है।’

गोवध की व्याख्या करते हुए, महेश शर्मा ने संडे एक्सप्रेस को बताया कि कुछ लोग बूढ़ी हो चुकी गाय को मार सकते हैं और कुछ ही मिनटों के अंदर सब कुछ (पूरा मांस) लेकर भाग सकते हैं। उन्होंने संडे एक्सप्रेस से कहा, ‘बिसाहड़ा गांव में एक बछड़ा खो गया। मवेशी को चुराने के मामलों में तेजी आ रही थी। लोग रात के समय पशुओं को उठा लेते हैं और वहीं काट डालते हैं। उन्हें यह कला आती है। वे गाय के चारों पैर को खास तरह से गांठ बांधकर बांध देते हैं, कुछ खास तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर गाय को मार देते हैं। कुछ ही मिनटों में उसकी खाल उतार देते हैं और मीट को गाड़ी में रखकर भाग जाते हैं। 5 से 7 मिनट के अंदर वे एक व्यस्क गाय को काट देते हैं। 3-4 लोगों का एक ग्रुप भी यह काम कर सकता है। वे गाय के शरीर से सबकुछ निकाल लेते हैं और पीछे बस हड्डी और खाल छोड़ जाते हैं।’

महेश शर्मा ने संडे एक्सप्रेस को आगे बताया, ‘गोवध काफी आम हो गया है। अक्सर ट्रक पकड़े जाते हैं और उनमें से गायें बरामद की जाती हैं। इससे काफी तनाव पैदा होता है। सैकड़ों लोग जमा हो जाते हैं और नारे लगाने लगते हैं। कुछ लोग प्रतिक्रिया के तौर पर ट्र में आग लगा देते हैं।’

बिसाहड़ा गांव में इखलाक की हत्या के मुद्दे पर बोलते हुए महेश शर्मा ने संडे एक्सप्रेस से कहा, ‘ठीक इसी तरह बिसाहड़ा में किसी ने कह दिया कि गाय का मांस है। वह दिखने में भी गोमांस की ही तरह लग रहा था। इसके बाद उन्होंने मंदिर से घोषणा कर दी कि गोमांस बरामद हुआ है। गोमांस कहां पाया गया? वह इखलाक के घर में पाया गया। शायद उसके घर से खून की धार निकल कर बाहर आ रही थी। लोग उसके घर पहुंचे। लोग गुस्सा हो गए। भीड़ जमा हो गई और उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया। तो इस तरह पूरी घटना घटी।’

महेश शर्मा ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा है कि यह घटना एक साजिश का नतीजा थी। उन्होंने कहा, ‘2 घंटे में कोई साजिश नहीं हो सकती। साजिश बनाने में एक महीना लगता है, एक पखवाड़ा लग जाता है। कोई पहले से तैयार साजिश नहीं थी। अगर ऐसा है कि कोई साजिश हुई, तो पुलिस को जांच करने दीजिए। यह एक बेहद दुखद हादसा है। हम इसकी निंदा करते हैं, लेकिन इसे सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जा सकता है। उस इलाके के मुस्लिम परिवार भी कह रहे हैं कि घटना से 2 घंटे पहले तक सब कुछ सही था। मैं और मेरी पार्टी बीजेपी इस घटना को सांप्रदायिक रंग ना देने की कोशिश कर रहे हैं। आप जो भी कहना चाहें कह सकते हैं- घटना, हादसा, दुर्घटना कुछ भी, लेकिन यह पहले से योजना बनाकर नहीं किया गया था।’

महेश शर्मा पीएम मोदी के संसदीय चुनाव क्षेत्र वाराणसी में थे। वह विभिन्न योजनाओं पर अमल का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने इखलाक की हत्या को गंगा की तराई में बसी सभ्यता-संस्कृति पर काला धब्बा बताया। उन्होंने संडे एक्सप्रेस से कहा, ‘यह गंगा-जमुनी तहजीब के ऊपर एक काला धब्बा है। पिछले 70 साल के दौरान बिसाहड़ा गांव में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी। इसे नहीं होना चाहिए था। मैं उदास हूं। हम सबको इससे काफी तकलीफ हुई है।’ उन्होंने राजनेताओं से अपील की कि वे बिसाहड़ा गांव से दूर रहें।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

Navbharat Times