साउथ चाइना सी विवाद: शी जिनपिंग के नेतृत्व में युद्ध की तैयारी में कड़ी मेहनत में जुटी चीन की सेना
|साउथ चाइना सी पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर चीन की सेना अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में कठोर तैयारी में जुटी हुई है। रविवार को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के 89 साल पूरे होने जा रहे हैं। शी जिनपिंग युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए 23 लाख की बड़ी संख्या वाली चीनी सेना की मारक क्षमता को तेजी से बढ़ाने में लगे हुए हैं।
हाल में ही इंरनैशनल ट्राइब्यूनल द्वारा साउथ चाइना सी इलाके में चीन के दावे को खारिज करने के बाद से ही सेना की युद्धक क्षमता का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। शी चीनी सेना पर अपनी पकड़ को मजबूत बना रहे हैं ताकि वह हाल के समय में एक मजबूत शक्तिशाली चीनी नेता के रूप में उभर सकें।
दूसरे देशों की मिलिट्री से अलग पीएलए चीन की रूलिंग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अधीन है। पीएलए के लिए चीन ने सालाना 145 बिलियन डॉलर के बजट की व्यवस्था की है। इससे अधिक बजट केवल अमेरिकी सेना का ही है।
शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आते ही चीन की सेना पर अपना ध्यान देना शुरू कर दिया था। शी चाहते थे कि मिलिट्री उनकी पार्टी के नेतृत्व में ही काम करे। इसके लिए चीनी सेना में तेजी से सुधार और पुनर्संरचना की कार्रवाई भी चल रही है। फिलहाल चीनी सेना के 40 टॉप कमांडर और दो रिटायर्ड मिलिट्री चीफ करप्शन के मामले में आरोपी हैं और जांच का सामना कर रहे हैं।
इनपर सेना के रैंक को बेचने का आरोप है। 25 जुलाई को चीन की अदालत ने पूर्व मिलिट्री चीफ गुआ को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। शी चीन की सेना में तो भ्रष्टाचार खत्म में जुटे ही हैं, साथ ही पार्टी में भी इसके लिए अभियान चला रखा है। हजारों अधिकारियों को अबतक सजा सुनाई जा चुकी है।
मिलिट्री पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शी जिनपिंग ने पीएलए के पूनर्गठन की प्रक्रिया में भी जुटे हैं। वह सेना के सारे कमांड को सेंट्रल मिलिट्री कमिशन (सीएमसी) के नेतृत्व में लेकर आए हैं, जिसके मुखिया खुद शी हैं। शी चाहते हैं कि सेना पार्टी के कमान के तहत काम करे, युद्ध जीतने के लिए अपनी क्षमताएं बढ़ाये तथा भ्रष्टाचार को समाप्त कर अपने कामकाज की शैली में सुधार लाए।
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