सहारनपुर हिंसा: बीजेपी सांसद का करीबी गिरफ्तार
|सहारनपुर हिंसा की शुरूआत जिस सड़क दूधली से हुई थी, गिरफ्तारी का सिलसिला भी वहीं से शुरू किया गया है। पुलिस ने मामले में नामजद और बीजेपी सांसद के करीबी को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि बीजेपी से जुड़े नामजदों की गिरफ्तारी करने के बाद पुलिस भीम आर्मी और दूसरे लोगों की गिरफ्तारी करेगी। इस बीच हिरासत में लिए गए चंद्रशेखर के भाई कमल किशोर को पुलिस ने देर रात छोड़ दिया।
दरअसल, 20 अप्रैल से सड़क दूधली में बाबा साहब आंबेड़कर की जयंती के उपलक्ष्य में शोभायात्रा निकालने को लेकर मुस्लिम और दलित आपस में भिड़ गए थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों में पथराव हुआ था। बाद में नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एसएसपी आवास पर कब्जा कर तोड़फोड़ और हंगामा किया था। इस मामले में पुलिस ने 6 मुकदमे दर्ज किए थे। गुरुवार रात एसआईटी ने इन मुकदमों में वॉन्टेड चल रहे नामजद आरोपी विपिन घसौती को गिरफ्तार कर लिया। विपिन घसौती को स्थानीय बीजेपी सांसद राघव लखनपाल का करीबी माना जाता है।
माना जा रहा है कि इसके बाद हिंसा की बाकी जगह हुई वारदात में वॉन्टेड चल रहे लोगों को गिरफ्तारी शुरू की जाएगी। अब तक दलित पक्ष पुलिस पर सत्ता के दबाव में पक्षपात करने का आरोप लगाता रहा है। बीजेपी से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी से जुड़े नामजद लोगों को भी गिरफ्तार करने में एसआईटी को आसानी होगी। उस पर कोई आरोप नहीं लग सकेंगे। एसएसपी बबलू कुमार का कहना भी है कि सभी मामलों की अलग-अलग टीम से जांच कराई जा रही है। दोषी कोई भी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। वह किसी भी संगठन और पार्टी से जुडा क्यों न हों। नामजदगी के बाद भी निर्दोष को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
चंद्रशेखर के भाई कमल को छोड़ा
पुलिस ने गुरुवार को सहारनपुर दंगों के आरोपी चंद्रशेखर के भाई कमल किशोर को अपनी मां के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए हिरासत में ले लिया था। उसके बाद सोशल मीडिया पर कई भड़काऊ विडियो और मेसेज जरी किए गए थे। पुलिस ने देर रात कमल को छोड़ दिया। पुलिस का कहना है कि उसे एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक चंद्रशेखर के भाई कमल को हिरासत में लेना दलित समाज के विरोध का टेस्ट लेना था। दरअसल, खुफिया विभाग रिपोर्ट दे चुका है कि चंद्रेशेखर की गिरफ्तारी होने पर दलित समाज विरोध में उतर सकता है। कई संगठन गिरफ्तारी पर जेल भरने का तक ऐलान कर चुके हैं। इसलिए गुरुवार को कमल को हिरासत में लेकर उसका टेस्ट लिया गया। लेकिन कमल के पक्ष में जिस तरह कोई भी खड़ा नहीं हुआ उससे पुलिस को ताकत मिली है।
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