सहारनपुर: महाराणा प्रताप जयंती पर फिर तनाव, राजपूत महासभा के पदाधिकारियों पर हत्या का केस दर्ज
|सहारनपुर हिंसा की पहली बरसी पर एक बार फिर तनाव का माहौल है। बुधवार को भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की गोली लगने से हुई मौत के मामले में पुलिस ने राजपूत महासभा के कुछ पदाधिकारियों पर हत्या का केस दर्ज किया है। सचिन वालिया की मां की तहरीर पर पुलिस ने राजपूत महासभा के अध्यक्ष सहित चार को नामजद करते हुए कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।
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बुधवार को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर महाराणा प्रताप भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान ही मल्हीपुर रोड स्थित रामनगर में भीम आर्मी जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई की गोली लगने से मौत हो गई। इस घटना के बाद वहां हड़कंप मच गया। भीम आर्मी ने राजपूत महासभा के पदाधिकारियों को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने जिला अस्पताल में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की और जमकर हंगामा किया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
राजपूत महासभा पदाधिकारियों पर हत्या का केस
मृतक सचिन वालिया की मां ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया है कि कार्यक्रम में 400-500 लोग नारेबाजी करते हुए आ रहे थे। इन्हीं में से बाइक सवार कुछ युवकों ने उसके बेटे की रामनगर चौक पर गोली मारकर हत्या कर दी। कांति देवी ने राजपूत महासभा के पदाधिकारी शेर सिंह राणा, कान्हा राणा उर्फ दीपक रायपुर, नागेंद्र राणा और उपदेश राणा पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया। पुलिस ने चारों के खिलाफ हत्या व एससी-एसटी ऐक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
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बुधवार दोपहर सचिन वालिया की मौत
घटना बुधवार करीब साढे बारह बजे की है। रामनगर रोड पर भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया का मकान है। उसी के सामने गोली लगने की बात सामने आ रही है। घायल सचिन को तुरंत जिला हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसकी जानकारी मिलते ही दलित समाज की भीड़ अस्पताल पर पहुंच गई और हंगामा शुरू कर दिया।
बाइक सवारों ने मारी गोली
इस बीच पुलिस अफसरों का कहना है कि हमालावर बाइक पर सवार दो शख्स थे, जो तमंचे से गोली मारकर भाग गए। सचिन वालिया के परिजन, अफसरों से बार बार कह रहे थे कि हत्या गोली मारकर पुरानी रंजिश में की गई है। सहारनपुर के डीएम पीके पांडे और एसएसपी बब्लू कुमार भारी फोर्स के साथ मौके पर पुहंचे। भीड़ को शांत करने की कोशिश की। इस बीच सहारनपुर के कमिश्नर चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी की तरफ से यह कहने की जानकारी भीड़ के बीच पहुंची कि सचिन की मौत खुद तमंचा साफ करते हुए गोली लगने से हुई है, इसकी जांच की जा रही है। इससे दलित भड़क गए।
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इस दौरान डीएम-एसएसपी और दूसरे पुलिस वालों से उनकी नोक-झोंक हुई। कई बार धक्का-मुक्की के हालात बने। भीड़ ने इस दौरान रामनगर रोड पर जाम लगा दिया। इस वारदात के बाद कानून व्यवस्था को देखते हुए कई जगह पीएसी तैनात की गई है। साथ ही मैजिस्ट्रेट को प्रभावित क्षेत्र में गश्त लगाने को कहा गया है। अभी इलाके में तनाव के हालात हैं।
2017 में भी रामनगर से ही भड़की थी जातीय हिंसा
2017 में भी नौ मई को ही रामनगर इलाके से हिंसा की शुरुआत हुई थी। दलित और राजपूत समाज मे संघर्ष के बाद वहां के राजपूत भवन में आग लगा दी गई थी। इसके बाद तोड़फोड़ पथराव के साथ ही आगजनी की घटनाएं हुई थीं। काफी दिन तक यह इलाका हिंसा की चपेट में रहा। मायावती, राहुल गांधी, जयंत चौधरी, जिग्नेश मेवाणी आदि तमाम नेता सहारनपुर पहुंचे थे। हिंसा के आरोप में बीजेपी के कई नेता भी नामजद हुए थे। वहीं, हिंसा फैलाने का आरोप भीम आर्मी पर लगा था। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण अभी तक जेल में बंद हैं। भीम आर्मी का जिलाध्यक्ष कमल वालिया एक सप्ताह पहले ही कोर्ट में सरेंडर होकर जेल गया है।
चल रहा था महाराणा प्रताप जयंती मनाने का विवाद
2017 में जातीय हिंसा की चिंगारी रामनगर से ही भड़की थी। यहां पर मौजूद एक राजपूत भवन को आग के हवाले कर दिया था। इस बार इस भवन में महाराणा प्रताप की जयंती नहीं मनाने की अपील दलित समाज ने की थी। उनका कहना था कि तनाव के चलते इस बार यहां आयोजन नहीं कराना चाहिए, जबकि राजपूत समाज ने साफ कर दिया था कि वह जयंती जरूर मनाएंगे।
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हालांकि प्रशासन ने दो दिन पहले तक राजपूत समाज को जयंती मनाने की इजाजत नहीं दी थी। राजपूत समाज ने कार्यक्रम की इजाजत नहीं मिलने पर कैराना उपचुनाव के बहिष्कार का लान कर दिया था। दरअसल, सहारनपुर के दो विधानसभा क्षेत्र कैराना लोकसभा मे आते हैं। उसके बाद प्रशासन ने राजपूत समाज को सशर्त महाराणा प्रताप जयंती के आयोजन की अनुमति दे दी थी। बुधवार को जिस जगह सचिन को गोली लगने की बात कही जा रही है, राजपूत भवन वहां से चंद कदम की दूरी पर है। इस घटना को पुलिस-प्रशासन की चूक के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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