सस्ता हो सकता है 2016 से पहले का होम लोन, आरबीआई के नए फैसले से जगी उम्मीद

नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को 1 अप्रैल से बेस रेट को एमसीएलआर से जोड़ने को कहा है। माना जा रहा है कि इस कदम से पुराने होम लोन कुछ सस्ते हो सकते हैं। एमसीएलआर पॉलिसी रेट से मिलने वाले संकेतों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। बेस रेट व्यवस्था की अपनी सीमाएं होने की वजह से रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल, 2016 से एमसीएलआर प्रणाली शुरू की थी।

1 अप्रैल, 2016 से पहले के होम लोन बेस रेट पर आधारित है, जिसे बैंक खुद तय करते रहे हैं। नोटबंदी के बाद से एमसीएलआर से जुड़ी ब्याज दरें नीचे की ओर आ रही हैं। रिजर्व बैंक ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘एमसीएलआर प्रणाली को शुरू करने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि मौजूदा बेस रेट से संबंधित होम लोन को भी इस प्रणाली में ट्रांसफर किया जाएगा।’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह देखने में आया है कि बैंकों के कर्ज का एक बड़ा हिस्सा आज भी बेस रेट से जुड़ा है। रिजर्व बैंक पहले भी मॉनिटरी पॉलिसी में भी इस पर चिंता जता चुका है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि एमसीएलआर उसकी पॉलिसी रेट के संकेतों को लेकर अधिक संवेदनशील है, ऐसे में 1 अप्रैल, 2018 से आधार दर को इससे जोड़ने का फैसला किया गया है। रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन ने मॉनिटरी पॉलिसी की समीक्षा के बाद मीडिया से कहा, ‘आरबीआई बेस रेट में मॉनिटरी ट्रांसमिशन की कमी को लेकर चिंतित है, अभी भी काफी बड़ी संख्या में अकाउंट्स बेस रेट के ही तहत आते हैं। हम अब बेस रेट को एमसीएलआर के साथ ऐसा सुसंगत बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कि मॉनिटरी पॉलिसी के संकेतों का क्रेडिट पॉर्टफॉलियो पर असर नहीं पड़े।’

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