सरकार बताए, GST से राज्यों के वित्तीय हित किस प्रकार सुरक्षित रहेंगे: येचुरी
|वाम दलों सहित पांच राजनीतिक दलों ने आज केन्द्र सरकार से कहा है कि जीएसटी विधेयक लाने से पहले वह राज्यों को आश्वस्त करे कि उनकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखा जायेगा। माना जा रहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक के अमल में आने के बाद वित्तीय संसाधन जुटाने के राज्यों के अधिकार काफी सीमित हो जायेंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें केन्द्र सरकार से इस आश्वासन की मांग की गई। इस बैठक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल के नेता उपस्थित थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक, संसाधनों के मामले में राज्यों को पंगु बना देगा और आखिर में राज्यों को केन्द्र के समक्ष हाथ फैलाने पड़ेंगे। इससे राज्य पूरी तरह से केन्द्र की दया पर निर्भर हो जायेंगे।
उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक पारित होने पर राज्यों को बिक्री कर, अधिभार और उपकर लगाने जैसे संसाधन जुटाने के अपने अधिकार से हाथ धोना पड़ेगा। येचुरी ने कहा, ‘इस विधेयक के आने के साथ ही राज्य राजस्व जुटाने के अपने एकमात्र अधिकार से भी हाथ धो बैठेंगे। इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्य आपात स्थिति में भी कोई उपकर आदि नहीं लगा पायेंगे।’
येचुरी ने कहा, ‘जीएसटी विधेयक केवल कर लगाने से जुड़ा है। इसमें केन्द्र-राज्य संबंधों के बारे में कुछ नहीं है। इसलिये विधेयक से बाहर एक प्रस्ताव आना चाहिये जिसमें सरकार को राज्यों को आश्वासन देना चाहिये।’ उन्होंने कहा कि हमें देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे का किस प्रकार समाधान करती है। बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमें केवल सरकार और कांग्रेस के बीच हुये विचार विमर्श के बारे में सूचित किया गया। इसमें चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं थी।’
मार्क्सवादी नेता ने नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि यह सरकार संसद में पार्टियों की संख्याबल के मुताबिक जीएसटी विधेयक पर चर्चा कर रही है। उन्होंने कहा, ‘इस लिहाज से हमारी सीटों की संख्या को देखते हुये हम ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रह गये हैं। यह मामला अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच का बनकर रह गया है।’ येचुरी ने कहा कि जेटली की राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक हुई, उसमें जो प्रस्ताव पास हुआ है, उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, हमने मंत्री से कहा है कि हमें इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाये। हम जानना चाहते हैं कि राज्यों ने क्या कहा है।’
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