सरकार ने सर्विस विभाग को टारगेट पर लिया
|दिल्ली विधानसभा के बजट सेशन में दिल्ली सरकार ने अपने ही सर्विस विभाग को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि इस विभाग द्वारा नई भर्तियों को भरा नहीं जा रहा है, जिसके चलते गरीबों और आम लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार के निशाने पर अन्य विभागों के अधिकारी भी हैं। सरकार लगातार सदन में कह रही है कि अधिकारी योजनाओ को सिरे नहीं चढ़ने दे रहे हैं, इसलिए अन्य उपाय किए जाने चाहिए।
सदन में प्रश्नोत्तर काल में सत्ता पक्ष की ओर से श्रम मंत्री गोपाल राय से विभाग को लेकर कुछ सवाल पूछे गए। सत्ता पक्ष के सदस्य पवन कुमार शर्मा जानना चाहते थे कि गरीबों और श्रमिकों को विभाग की योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल रहा है। उनका कहना था कि श्रमिक विभाग के कार्यालयों में जाते हैं और परेशान होकर लौट आते हैं। श्रम मंत्री का कहना था कि इसके लिए सर्विस विभाग सीधे तौर पर दोषी है। उसका कारण यह है कि श्रम विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी पद खाली पड़े हुए हैं। लेकिन विभाग के आला अधिकारी जानबूझकर इन पदों को नहीं भर रहे हैं। इसका परिणाम यह निकल रहा है कि विभागों में कामकाज प्रभावित हो रहा है, साथ ही लोगों को दिल्ली सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विधानसभा सदन में सत्ता पक्ष के अन्य सदस्यों ने भी कई विभागों में स्टाफ की कमी का मसला उठाया और इस बात पर दुख जताया कि इस कमी के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सदन में विधानसभा अध्यक्ष ने तो स्पष्ट कह दिया कि सरकार के अधिकारी कोई काम करने को राजी है। यह आरोप अध्यक्ष ने तब लगाया जब परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने जानकारी दी कि राजधानी में 1397 बस क्यू शैल्टर बनाए जाने हैं। इसके लिए तीन बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं, लेकिन दुख की बात यह है कि कोई भी कंपनी टेंडर के लिए नहीं आ रही है। अध्यक्ष का कहना था कि यह टेंडर इसलिए लगातार फेल हो रहे हैं क्योंकि अधिकारी इन टेंडरों में अड़ंगा लगा रहे हैं, जिस कारण यह योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जानकारी दी कि अपने इलाके में तो वह एमएलए फंड से बस क्यू शैल्टर लगा रहे हैं। अध्यक्ष ने कहा कि सभी को ऐसा काम करना चाहिए, लेकिन मंत्री का कहना है कि इस फंड से लगाए गए शैल्टर के रखरखाव की समस्या आ रही है।
सदन में सरकार व सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा अफसरों को लगातार टारगेट पर लिया जा रहा है। सदस्य आरोप लगा रहे हैं और मंत्री मान रहे हैं कि सदन में प्रश्नों के उत्तर देने में अधिकारी कोताही बरत रहे हैं। सत्ता पक्ष के सदस्य सौरभ भारद्वाज तो सदन में लिखित में पूछे जाने वाले सवालों के अधिकतर जवाबों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि सदस्यों द्वारा जो सवाल पूछे जा रहे हैं, उनका उत्तर या तो अधूरा होता या टालने वाला, जिसका कोई लाभ नहीं होता। भारद्वाज व सत्ता पक्ष के अन्य सदस्यों ने ऐसे ही कुछ जवाबों से नाराज होकर उन्हें प्रश्न संदर्भ समिति को भेजने की मांग की। अध्यक्ष गोयल ने उनकी बात मानते हुए कुछ सवालों को समिति को भेज दिया।
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