सरकार ने राजीव पर क्या कार्रवाई की?
| सीनियर आईएएस और प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव (नियुक्ति) राजीव कुमार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई कोर्ट की सजा के खिलाफ उनकी अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी थी। अब उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि, एक सजायाफ्ता अधिकारी के खिलाफ सरकार ने क्या कार्रवाई की है। सरकार से यह जानकारी दस दिन में देने को कहा गया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के चलते राजीव कुमार सोमवार को गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट के सामने समर्पण कर चुके हैं। अब पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो एफ. रिबेरो व अन्य पूर्व अधिकारियों ने इनकी बर्खास्तगी की मांग को लेकर याचिका दाखिल की है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस आर.एन.कक्कड़ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता से दस दिन में जानकारी प्राप्त करने को कहा है।
कोर्ट ने पूछा है कि, राजीव कुमार के जेल जाने के बाद राज्य सरकार ने क्या कार्रवाई की। याचिका पर अगली सुनवाई दो मई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नोएडा अथॉरिटी की पूर्व चेयरमैन नीरा यादव और डीसीईओ राजीव कुमार के 1995 में नोएडा में तैनाती के समय हुए प्लॉट आवंटन में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच हुई। सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने इन्हें तीन साल की कैद व 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर अपील जस्टिस हर्ष कुमार ने खारिज कर दी थी। 24 फरवरी 2016 के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत न देते हुए समर्पण करने को कहा था। जिसके बाद राजीव कुमार जेल गए। अब उनकी बर्खास्तगी की मांग उठी है
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