सऊदी अरब के नए तेल मंत्री चाहते हैं 30 डॉलर से कम रहे कच्चे तेल की कीमत

रियाद

इस साल जनवरी में कच्चे तेल के दाम बीते एक दशक के सबसे कमजोर स्तर पर थे। लेकिन सऊदी अरब के नए तेल मंत्री बने खालिद अल-फलेह इन चिंताओं से परे थे। दावोस में ऑइल एग्जिक्यूटिव्स, बैंकर्स और पॉलिसी मेकर्स को संबोधित करते हुए तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश को तेल की कीमतों के 30 डॉलर प्रति बैरल रहने पर फायदा होगा। दो दशक से अधिक वक्त तक सऊदी किंगडम के तेल मंत्री अली अल-नईमी के स्थान पर खालिद अल-फलेह को कमान सौंपी गई है।

फलेह का कहना है कि कच्चे तेल के दामों में कमजोरी रहने से सऊदी अरब को अपनी इकॉनमी को रिस्ट्रक्चर करने में आसानी होगी। इसके अलावा सऊदी अरब छोटी और अधिक प्रभावी कैबिनेट का गठन कर सकेगा, इसके अलावा निजी सेक्टर के लिए भी दरवाजे खुल सकेंगे। ओपेक देशों के सबसे अहम सदस्य सऊदी अरब का हमेशा से प्रयास रहा है कि तेल की कीमतों पर संतुलन बना रहे। लेकिन ऐसी स्थिति न होने पर वह कभी तेल के उत्पादन में कमी की कोशिश करता है या फिर अन्य ओपेक देशों के साथ ही इसमें इजाफे की कोशिश करता है।

लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं। कई दशकों में यह पहला मौका है, जब उत्पादन में कटौती करना सऊदी अरब के एजेंडे में नहीं है। वैश्विक कीमतों में जारी कमी को थामने के लिए सऊदी अरब उत्पादन में कटौती के मूड में नहीं है, बल्कि वह इसे जारी रखकर अमेरिका के महंगे तेल को पस्त करना चाहता है।

कई दशकों में इस लिहास से भी यह पहला मौका है, जब शाही परिवार से इतर डेप्युटी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी अरब की तेल नीतियों का जिम्मा सौंपा गया है।

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