संसदीय समिति के सामने पेश होंगे 11 बैंकों के प्रमुख
|सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी मंगलवार को संसद की वित्तीय मामलों की स्थाई समिति के सामने पेश होंगे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के अधिकारियों से भारी परिमाण में बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए), खराब कर्ज और फर्जीवाड़ा के बढ़ते मामलों पर जवाब तलब किया जाएगा। कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसद की स्थाई समिति भारत के बैंकिंग क्षेत्र के मसलों, चुनौतियों और आगे की कार्य योजना पर रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसमें बैंकों/ वित्तीय संस्थानों में एनपीए, परिसंत्तियां/दबाव वाली परिसंत्तियां शामिल होंगी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, संसदीय समिति के समक्ष 26 जून को जिन बैंकों को प्रतिपादन का ब्योरा प्रस्तुत करना है और समिति के सदस्यों के सवालों के जवाब देने हैं, उनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, आईडीबीआई बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूनाइटेड बैंक शामिल हैं। भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एनपीए की राशि बढ़कर नौ लाख करोड़ रुपये हो गई है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के खराब कर्ज की रकम 7.5 लाख करोड़ रुपये है।
पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी द्वारा 13,000 करोड़ रुपये की चपत लगाए जाने का मामला उजागर होने के बाद बैंकिंग प्रणाली को फरवरी में गहरा धक्का लगा। फर्जीवाड़े में शामिल दोनों आरोपी फरार हैं। शिवसेना के मुताबिक, नीरव और मेहुल बीजेपी को हर चुनाव में भारी भरकम चंदा दिया करते थे।
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