शहाबुद्दीन की सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत हुई खारिज
|सुप्रीम कोर्ट ने RJD के नेता शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर दी है। तेजाब कांड में मारे गए पीड़ित युवकों के परिवार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अपीलों (चंदा बाबू और बिहार सरकार की तरफ से दाखिल) को मंजूरी दे दी है। बिहार सरकार को आदेश दे दिया गया है कि शहाबुद्दीन को तुरंत जेल भेजा जाए। कोर्ट ने कहा कि उसकी जमानत का फैसला रद्द किया जाता है।’
प्रशांत ने यह भी बताया कि कोर्ट ने राजीव रोशन केस का ट्रायल भी जल्द से जल्द खत्म करने की बात कही है। इस मामले पर बिहार सरकार के पूर्व रवैये के बारे में बोलते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्य सरकार के ढुलमुल रुख का शहाबुद्दीन को फायदा मिला।
Family of victims of Mohd Shahabuddin express their happiness & gratitude, break down as they hear of Shahabuddin’s bail cancellation pic.twitter.com/iMII83FFsJ
— ANI (@ANI_news) September 30, 2016
उधर, पीड़ित परिवार ने इस फैसला का स्वागत किया है। जमानत रद्द किए जाने की खबर सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए। प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि वे शहाबुद्दीन को बिहार से बाहर किसी जेल में रखे जाने और विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा ट्रायल कराए जाने को लेकर एक और याचिका दायर करेंगे।
Will move another petition asking Mohd Shahabuddin be moved to a jail outside Bihar & trial to be thru video conferencing: Prashant Bhushan
— ANI (@ANI_news) September 30,
उधर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए राज्य की सत्ताधारी JD (U) और RJD पर जमकर निशाना साधा। मालूम हो कि शहाबुद्दीन को जमानत दिए जाने की बीजेपी ने कड़ी आलोचना की थी।
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शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात हालांकि पहले-पहल प्रशांत भूषण ने ही की थी। इसके बाद नीतीश सरकार की ओर से कहा गया था कि वह भी जमानत खारिज करने की अपील करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बिहार सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि बिहार सरकार अभी तक क्यों सो रही थी? हर मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिलती रही और अब अंतिम मामले में जब जमानत मिल गई, तब सरकार कोर्ट पहुंची है।
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गुरुवार को शहाबुद्दीन के वकील शेखर नाफाडे ने प्रदेश सरकार पर इस केस से जुड़े ट्रायल को लटकाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कोर्ट से कहा था कि कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के 17 महीने बाद तक उनके मुवक्किल को चार्जशीट की कॉपी नहीं दी गई थी। हालांकि नाफाडे ने कोर्ट को इससे जुड़ा कोई हलफनामा नहीं सौंपा था।
शहाबुद्दीन ने कहा था, बिहार से बाहर रहने को भी हूं तैयार
बचाव पक्ष की दलील का विरोध करते हुए प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा कि बचाव पक्ष इस मुद्दे को बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों और हाई कोर्ट में एक बार भी बचाव पक्ष की ओर से यह मुद्दा नहीं उठाया गया। हालांकि बचाव पक्ष ने कोर्ट में यह भी कहा था कि अगर पीड़ित परिवार और प्रदेश सरकार द्वारा जताई गई आशंकाओं के मद्देनजर अदालत उनके मुवक्किल को बिहार से बाहर रहने का आदेश देती है, तो वह इसके लिए भी तैयार है।
प्रशांत भूषण ने हाई कोर्ट के फैसला का विरोध करते हुए कहा कि जमानत दिए जाने का आदेश सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में जमानत देते हुए विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। 7 महीने पहले हाई कोर्ट ने जमानत देने की अर्जी खारिज की थी और बाद में जमानत दे दी गई। शहाबुद्दीन को पहले ही 2 मामलों में उम्रकैद की सजा हो चुकी है। उसके खिलाफ 45 मामले लंबित हैं। इनमें 9 मामले हत्या के हैं और हत्या की कोशिश करने के 4 मामले हैं। उसके खिलाफ 21 मामले ऐसे हैं, जिनमें 7 साल से ज्यादा सजा का प्रावधान है।
शहाबुद्दीन में सुधार की गुंजाइश नहीं: बिहार सरकार
बिहार सरकार ने भी शहाबुद्दीन को प्रदेश की शांति के लिए खतरा बताया था। सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि शहाबुद्दीन हिस्ट्री शीटर है और उसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है। 2001 में एक बार जब पुलिस छापा मारने गई थी, तब शहाबुद्दीन के लोगों ने AK 47 से पुलिस टीम पर गोलियां चलाई थीं। इस वारदात में एक पुलिस कर्मी की मौत हो गई थी। इस मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिली हुई है। इसे भी रद्द करने की अपील भी सरकार ने की। बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी और गोपाल सिंह पेश हुए थे।
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