शराब विक्रेताओं को लाइसेंस शुल्क पर भी देना होगा टैक्स, शराब हो सकती है महंगी
|सर्विस टैक्स अथॉरिटीज की पैनी नजर अब शराब पर भी पड़ चुकी है। अब शराब विक्रेताओं को लाइसेंस शुल्क पर भी टैक्स देना होगा, जिसके कारण शराब की कीमतें बढ़ सकती हैं। अथॉरिटी का मानना है कि शराब विक्रेता राज्य सरकारों को लाइसेंस के लिए दी जाने वाली राशि पर टैक्स नहीं चुका रहे हैं। ऐसी राशि को पिछले साल ही टैक्सेबल किया गया था। इस बाबत अथॉरिटी ने शराब विक्रेताओं को एक लेटर दिया है। इसमें शराब विक्रेताओं से सर्विस टैक्स अथॉरिटी के साथ रजिस्टर होकर टैक्स का भुगतान करने के लिए कहा गया है।
शराब बेचने वाले बार और रेस्तरां भी इसमें शामिल होंगे। शराब विक्रेताओं को रिवर्स चार्ज मेकनिजम के तहत यह टैक्स की राशि चुकानी पड़ेगी। इसका मतलब इस सेवा का अंतिम भार सेवा लेने वालों अर्थात ग्राहकों पर ही पड़ेगा। अथॉरिटी के लेटर शराब विक्रेताओं के लिए समस्याएं भी पैदा कर सकता है। अब या तो शराब विक्रेताओं को टैक्स को चुकाना पड़ेगा या राज्य सरकार से MRP बढ़ाने के लिए कहना होगा जो कि बहुत मुश्किल है। इससे कीमत बढ़ सकती है जिससे शराब बिक्री पर प्रभाव पड़ेगा।
एक शराब कंपनी के एक्जिक्युटिव ने कहा, ‘यह शराब इंडस्ट्री के लिए एक संकट जैसा है। बढ़ी कीमतों का सीधा प्रभाव बिक्री पर पड़ेगा। अगर कीमतें नहीं बढ़ाई गईं तो इसकी बिक्री अधिक रहेगी। लेकिन विक्रेताओं को टैक्स तो चुकाना ही है।’ फाइनैंस ऐक्ट में पिछले साल हुए बदलावों के कारण लाइसेंस शुल्क, ऑक्शन और डिवेलपमेंट राइट टैक्सेबल हो गए थे। अभी शराब विक्रेताओं को इन नए नियमों की जानकारी नहीं है, इस कारण अथॉरिटीज इन नियमों को सभी शराब विक्रेताओं तक पहुंचना चाहते हैं।
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