शराब में डूबे रहते थे बिग-बॉस विनर करण वीर:सारे दोस्त आगे बढ़ गए, सुशांत इनके जूनियर थे, उन्होंने राह दिखाई; अब असल पहचान मिली
|बिग बॉस-18 में करण वीर मेहरा के प्रतिद्वंद्वी विवियन डिसेना ने कहा था- इस लड़के ने जितनी मेहनत की है, अब तक उसे उसका क्रेडिट नहीं मिला है। करण वीर की लाइफ जर्नी को देखें तो विवियन की बात सही लगती है। 2005 में करियर शुरू करने वाले करण वीर को लोगों ने अब यानी 20 साल बाद पहचाना है। सुशांत सिंह राजपूत जैसे एक्टर भी इनके जूनियर हुआ करते थे। इनके साथ के कई दोस्त आगे बढ़ गए, लेकिन करण वीर के हाथ सफलता नहीं लगी। एक दौर ऐसा भी आया जब करण दिन भर शराब में डूबे रहते थे। न शरीर साथ दे रहा था, न किस्मत। फिर भी हिम्मत नहीं हारी। बिस्तर से उठे, शराब छोड़ी और दूसरी इनिंग शुरू करने चल पड़े। करण वीर मेहरा की संघर्ष से सफलता की कहानी..उनकी जुबानी पिता बिग बी के फैन थे, एक्टिंग का कीड़ा बचपन से था मेरा जन्म 28 दिसंबर 1977 को दिल्ली में हुआ था। पिताजी अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फैन थे। हेयर स्टाइल भी बच्चन साहब की तरह रखते थे। उनकी फेवरेट फिल्म शराबी थी। शराब पीने का शौक भी रखते थे। जब फिल्म शहंशाह आई, तो पिताजी मेरे लिए वही ड्रेस लेकर आए थे, जो फिल्म में बच्चन साहब ने पहनी थी। फिल्मी माहौल की वजह से मेरे अंदर भी एक्टिंग का कीड़ा बचपन से ही पैदा हो गया था। कम उम्र में पिता गुजरे, मां और दादी ने परवरिश की कम उम्र में ही पिताजी का छाया सिर से उठ गया। सही मायनों में मां ने मेरी परवरिश की। संसाधन भले ही कम थे, लेकिन मां ने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। मेरे पालन-पोषण में दादी ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मेरे नाम के आगे ‘वीर’ लगाया। दरअसल, मेरे परदादा का नाम विशेषानाथ वीर मेहरा था। मेरा नाम उन्हीं से इंस्पायर होकर रखा गया था। NSD गए तो कहा गया- पहले पढ़ाई करो, फिर आना मैं स्कूल और कॉलेज में ड्रामा करता था। एक्टिंग कोर्स करने की चाहत में NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) गया। उस वक्त 9वीं कक्षा में था। वहां किसी ने कहा कि पहले पढ़ाई करो फिर आना। एक ऑप्शन FTII, पुणे (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) भी था, लेकिन वहां जाने के लिए न पैसा था और न ही संसाधन। फिर मैंने दिल्ली में मशहूर एक्टिंग कोच बैरी जॉन की वर्कशॉप जॉइन कर ली। वहां मेरी मुलाकात सुशांत सिंह राजपूत से हुई। सलमान और शाहरुख के घर के बीच जमीन भी देख ली दिल्ली में एक्टिंग कोर्स करने के बाद मैं एक्टर बनने का सपना लेकर दिल्ली से मुंबई आया। मन में एक ही ख्याल था- शाहरुख खान की तरह बनना। मैंने तो शाहरुख और सलमान के घर के बीच एक जगह भी देख ली थी। वहां अपना आशियाना बनाना चाहता था। हालांकि, जर्नी इतनी आसान रहती तो फिर क्या ही कहने होते। मैं हर कदम पर हारता गया। मेरे साथ वाले आगे बढ़ते गए। सुशांत सिंह राजपूत ने जीवन जीने का तरीका बताया सुशांत ने मेरे सोचने का नजरिया बदल दिया। वह हमेशा क्राफ्ट पर बात करता था। उसे पैसों से मतलब नहीं था। वह हमेशा खुद पर काम करने की बात करता था। वह इंडस्ट्री में मेरा जूनियर था। उम्र में भी छोटा था, लेकिन उससे सीखने को बहुत कुछ मिलता था। दिल्ली स्थित मेरे घर भी आता था। जमीन पर मां के पैरों में बैठ जाता था। वह मुझसे कहता था- अच्छा कलाकार होना बहुत मुश्किल है, उससे भी मुश्किल है अच्छा इंसान बनना। मैं इस दुनिया से जाने से पहले अच्छा कलाकार और इंसान दोनों बनना चाहता हूं। करण वीर को खुद से बेहतर एक्टर मानते थे सुशांत सुशांत मुझसे हमेशा कहता था कि तुम मुझसे बेहतर एक्टर हो। हालांकि, तब वह मुझसे कहीं ज्यादा सफल था। इतना टैलेंटेड होने के बावजूद वह खुद को दूसरों से कमतर आंकता था। यही खासियत उसे दूसरों से अलग बनाती थी। मेरे फोन में 70 हजार फोटोज होंगी, जिसमें 30 हजार तो सिर्फ मेरी और सुशांत की तस्वीरें हैं। ठीक ऐसे ही सिद्धार्थ शुक्ला भी मेरा दोस्त था। उसका भी दिल बहुत बड़ा था। वह भी असमय चला गया। कुछ लोगों ने बिग बॉस में मेरी जर्नी को सिद्धार्थ से मिलाया था। ऑडिशन में ताने कसे गए एक बार मैं ऑडिशन के लिए कहीं गया। मैंने अपना शॉट दिया। पीछे से किसी ने कहा- अच्छा, रिहर्सल खत्म हो गया? अब एक्टिंग करके दिखाओ। यह बात मुझे अच्छी और बुरी दोनों लगी। बुरी इसलिए, क्योंकि उसे यह नहीं लगा कि मैं एक्टिंग कर रहा हूं। शायद अच्छा लगने का भी कारण यही था कि एक्टिंग इतनी नेचुरल थी कि उसे पता ही नहीं चला कि एक्ट कर रहा हूं या रिहर्सल। 2005 में शुरू हुआ एक्टिंग करियर करण वीर ने सबसे पहले टेलीविजन का रुख किया। उन्होंने 2005 में टीवी शो ‘रीमिक्स’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की। जी टीवी के शो पवित्र रिश्ता में उनके काम की काफी तारीफ हुई। करण टीवी तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने मेरे डैड की मारुति, रागिनी MMS-2 और बदमाशियां जैसी फिल्मों में भी काम किया। टीवी और फिल्मों के अलावा करण कुछ वेब सीरीज में भी देखे गए। एक्सीडेंट हुआ..डिप्रेशन में गए, शराब की लत लगी एक वक्त ऐसा भी आया कि मुझे शराब की लत लग गई। दरअसल, मेरा एक्सीडेंट हो गया था। बात 2016 की है। बाइक से कहीं जा रहा था, तभी भयंकर एक्सीडेंट हो गया। पैर में अभी भी प्लेट पड़ी हुई है। पैर टूटने की वजह से मैं दिन भर बिस्तर पर ही पड़ा रहता था। करने को कुछ नहीं था, तो बैठे-बैठे दारू ही पीने लग गया। एक बोतल से दो बोतल, फिर धीरे-धीरे डोज बढ़ता गया। मोटा हो गया, पेट निकल गया। फिजियोथेरेपी शुरू की, जिम में पसीना बहाया मेरी स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। हालांकि, एक दिन खुद को देख कर यह एहसास हुआ कि मैं ऐसा नहीं हूं, जैसा बन गया हूं। इसके बाद मैंने घर से निकलने का फैसला किया। तब तक पैर थोड़ा बहुत सही हो गया था। मैंने फिजियोथेरेपी लेनी शुरू की। जिम गया, पसीना बहाया। इसके जरिए डिप्रेशन कम हो गया। डिप्रेशन से निकलने के बाद करण वीर ने फिर से काम करना शुरू किया। टीवी शोज करते रहे। 2024 में खतरों के खिलाड़ी और अब बिग बॉस-18 जीतने के बाद उनकी लाइफ की दूसरी इनिंग शुरू हो गई है। ———————————- सक्सेस स्टोरी का पिछला एपिसोड यहां पढ़ें.. डॉक्टर ने कहा था- बचेंगे नहीं:बाद में प्रोफेशनल रेसलिंग में वर्ल्ड चैंपियन बने संग्राम सिंह, PM मोदी ने मिलने बुलाया जब मैं 3 साल का था, तभी मुझे रुमेटॉइड गठिया हो गया था। डॉक्टर्स ने कहा था कि मैं ज्यादा जी नहीं पाऊंगा। खुद से चल भी नहीं पाता था। हालांकि, जैसे-तैसे मां की मेहनत रंग लाई और मैं रेसलिंग की दुनिया में पहचान बना पाया।’ पूरी खबर पढ़ें..