व्यापार बंद, निगम मुख्यालय घेरेंगे कारोबारी
|विशेष संवाददाता। लाजपत नगर में सीलिंग का विरोध कर रहे दुकानदारों पर पुलिस एक्शन के खिलाफ दिल्ली के कारोबारियों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है। इसी नाराजगी और सीलिंग के खिलाफ 13 मार्च को आयोजित दिल्ली कारोबार बंद को बड़े बाजार भी समर्थन देने आगे आ गए हैं। बंद के दौरान कारोबारी मिंटो रोड स्थित निगम मुख्यालय का घेराव करेंगे। माना जा रहा है कि उनके इस निर्णय से वहां तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है।
सीलिंग के खिलाफ दिल्ली के कारोबारी पहले भी बंद की घोषणा कर चुके हैं। इस बार दिल्ली में सीलिंग का खौफ कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा है, जिसके खिलाफ कारोबारियों ने मंगलवार 13 मार्च को दिल्ली कारोबार बंद की घोषणा की है। कारोबारी इस बात से भी खासे नाराज हैं कि उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है और सीलिंग के दौरान महिलाओं तक पर लाठीचार्ज हो रहा है। इसी गुस्से का इजहार करने के दिल्ली के बड़े बाजार भी इस बंद में शामिल होना शुरू हो गए हैं। कनॉट प्लेस, चांदनी चौक थोक बाजार, सदर बाजार, कमला नगर आदि ने इस बंद में शामिल होने की घोषणा कर दी है। बंद को लेकर कारोबारी लगातार बैठक भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार आफत कुछ अधिक है, इसलिए इसका विरोध किया जाना जरूरी है। कारोबारी इस बात से भी नाराज हैं कि इस मसले पर विभिन्न पार्टियों के नेता और सरकार राजनीति कर एक दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
कारोबार बंद की घोषणा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने की है। कैट के वरिष्ठ पदाधिकारी व अन्य कारोबारी संगठनों से जुड़े नेता प्रवीण खंडेलवाल, अतुल भार्गव, विजय गुप्ता बंटी, सुशील कुमार गोयल, देवराज बवेजा, नरेश सांभर, मुकेश सचदेव आदि का कहना है कि सीलिंग का स्थायी हल निकाला जाना जरूरी है, वरना कुछ साल बाद इसका दंश फिर परेशान करेगा। कैट पदाधिकारियों का कहना है कि कारोबार बंद के दिन पूरी दिल्ली के कारोबारी मिंटो रोड स्थित निगम मुख्यालय का घेराव करेंगे। उनका आरोप है कि नगर निगम के इंजीनियर ही सीलिंग के लिए सबसे बड़े दोषी हैं। अगर उन्होंने अवैध निर्माण के खिलाफ ठोस कदम उठाए होते तो आज कारोबारियों को रोजीरोटी का संकट नहीं झेलना पड़ता। प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में दिल्ली नगर निगम कानून 1957 के मूलभूत प्रावधानों को ताक पर रख कर की जा रही है जिसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
कैट नेताओं का कहना है कि नगर निगम अधिकारी पुलिस को सच्चाई बताए बिना उनका सहारा लेकर सीलिंग कर रहे हैं। यदि ऐसे ही चला तो दिल्ली के व्यापारी निगम अधिकारीयों के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे। कारोबारियों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि दिल्ली के व्यापार को बचाने के लिए एक एमनेस्टी स्कीम लायी जाए, जिसके अंतर्गत 31 दिसम्बर 2017 तक जहां है, जैसा है के आधार पर छूट दी जाये और भविष्य में किसी प्रकार का कोई उल्लंघन न हो इसके लिए कड़े कानून बनाया जाए, जिनका कड़ाई से पालन हो और न केवल दोषी लोगों बल्कि सम्बंधित अफसरों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाए। नरेश सांभर का कहना है कि दिल्ली के व्यापार को बनने में अनेक दशकों का समय लगा है और केवल एक स्ट्रोक पर इस विकास को क्षति पहुंचाने से दिल्ली का ढांचा ही चरमरा जाएगा।
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