वॉर क्राइम में बुरी तरह से घिरता दिख रहा है ब्रिटेन

लंदन

ब्रिटेन पर युद्ध अपराध में अभियोग चलने का खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन के खिलाफ सऊदी अरब को मिसाइल बेचने के कई सबूत सामने आ रहे हैं। इन मिसाइलों का उपयोग सऊदी अरब ने यमन में बर्बर तरीके से गृह युद्ध चलाने के लिए किया है। ब्रिटेन विदेश विभाग के वकीलों और राजनयिक ने इस मामले में चेतावनी दी है। विदेश सचिव फिलिप हैमंड के सलाहकारों ने स्पेशलिस्ट मिसाइलों की सऊदी से बिक्री पर चेतावनी दी है। चेतावनी में कहा गया है कि सऊदी अरब पश्चिमी यमन में हाउदी विद्रोहियों के खिलाफ लगातार 9 महीने तक हर दिन अटैक करता रहा है। यह इंटरनैशनल मानवीय कानूनों का उल्लंघन हो सकता है।

इस साल मार्च महीने तक सऊदी के नेतृत्व वाले सहयोगी सुन्नी गल्फ स्टेट्स ने बमों से हमले और बंदरगाहों को ब्लॉक कर यमन को बुरी तरह से पंगु बना दिया है। इनका राजनीतिक उद्देश्य है कि यमन से हाउदी शिया विद्रोहियों को निकाला जाए और निर्वासित प्रेजिडेंट अबेद-रब्बो मंसौर हादी को फिर से सत्ता सौंपी जाए। इस चक्कर में यमन के हजारों नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। सऊदी के हमले में स्कूल, हॉस्पिटल और गैर मिलिटरी इंफ्रास्ट्रक्चर को भी निशाना बनाया गया। यूनाइडेट नेशन के मुताबिक इस देश में ईंधन और खाद्य का भारी संकट है। देश के कई हिस्सों में अकाल की स्थिति है।

एमनेस्टी इंटरनैशनल, ह्यमन राइट्स वॉच और अन्य एनजीओ ने दावा किया है यमन के नागरिकों को मारने के लिए अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं। एक सीनियर फॉरन ऐंड कॉमनवेल्थ ऑफिस (एफसीओ) के कानूनी सलाहकार ने बताया, ‘फॉरन सेक्रटरी को बताया गया है कि सऊदी जिन हथियारों का यमन के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है उनमें से कुछ की सप्लाई ब्रिटेन से हो रही है। इस तरह की बिक्री क्या इंटरनैशनल आर्म्स समझौतों का उल्लंघन नहीं है? उनका जवाब निराशाजनक है क्योंकि कुछ भी साफ नहीं है।’

हालांकि डिपार्टमेंट फोर इंटरनैशनल डिवेलेपमेंट को हाल ही में सऊदी से आश्वासन मिला है कि वे नहीं चाहते हैं कि अकाल उनके दरवाजे पर दस्तक दे। एफसीओ ने सऊदी अरब की मिलिटरी के तेवर और इंटरनैशनल कानूनों के प्रति लापरवाही को लेकर चिंता जतायी थी। अधिकारियों को डर है कि यमन के खिलाफ सऊदी को हथियारों समेत टेक्निकल सहयोग देने के मामले में ब्रिटेन को इंटरनैशनल कोर्ट में लपेटा जा सकता है। यमन में सीधे नागरिकों पर हमले को लेकर ब्रिटेन पर गंभीर आरोप बन सकते हैं।

एक और सरकारी वकील ने ब्रिटेन को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि ब्रिटेन सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिका और फ्रांस के साथ शामिल होने जा रहा है। दूसरी तरफ ब्रिटेन यमन में हमले को लेकर कानून पेच में फंसता दिख रहा है। एक और लीगल अडवाइजर ने कहा कि यमन भूले हुए संघर्ष की व्याख्या फिर से कर सकता है। दूसरी तरफ फॉरन ऑफिस इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। कहा जा रहा है कि यह एक तरह का प्रॉक्सी वॉर है। इस वॉर को सऊदी अरब लीड कर रहा है। लोगों का मानना है कि यमन में हौथी विद्रोहियों के पीछे ईरान का हाथ है।

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