विधानसभा का स्पेशल सेशन: उड़ेंगे एमसीडी के पुर्जें

रामेश्वर दयाल

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने एमसीडी की कार्यप्रणाली को लेकर कल से दो दिन का विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया है। सेशन में एमसीडी को कटघरे में खड़ा करने के लिए मंत्रियों व विधायकों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। दूसरी ओर विपक्ष इस सेशन में ऐप बेस्ड प्रीमियम बस सर्विस पर घोटाले का आरोप लगाते हुए सरकार को घेरेगा। उसका यह भी कहना है कि ऐसी क्या इमरजेंसी आ पड़ी जो आपातकालीन सेशन बुलाए जा रहे हैं।

दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार दिल्ली में सफाई के बदतर होते हालात पर एमसीडी की खिंचाई तो होगी ही, साथ वहां हो रहे कथित भ्रष्टाचार को लेकर भी विधायक एमसीडी की कार्यप्रणाली का विरोध करेंगे। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए दिल्ली सरकार के दो मंत्रियों को एमसीडी को टारगेट करने की जिम्मेदारी दी गई है, इसके अलावा महिला व अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े विधायकों को भी कहा गया है कि सफाई मसले पर एमसीडी के कार्यों पर सवाल दागें। गौरतलब है कि सफाई व्यवस्था को लेकर दिल्ली सरकार ने एमसीडी को कई नोटिस भी जारी किए हैं और अफसरों के खिलाफ एक्शन की चेतावनी जारी की है। संभावना जताई जा रही है कि दो दिन के इस सेशन में सत्ता पक्ष के दो दर्जन से अधिक विधायक अपने विचार रखेंगे। वैसे इस सेशन में विधानसभा उपाध्यक्ष का भी चुनाव होना है। इस पद पर शालीमार बाग की विधायक कुमारी बंदना ने इस्तीफा दे दिया था।

दूसरी ओर विपक्ष ने भी इस सेशन को लेकर पूरी तैयारी कर ली है, जिससे सदन में हंगामे की संभावना है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के अनुसार ऐसी क्या नौबत आ गई कि सरकार इमरजेंसी सेशन बुलाने लग जाती है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपने 15 साल के कार्यकाल में तीन इमरजेंसी सेशन बुलाए थे लेकिन यह सरकार एक साल के कार्यकाल में दो इमरजेंसी सेशन बुला चुकी है। असल में ऐसे सेशनों का इस्तेमाल अपने विरोधियों की आलोचना के लिए इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा सदन में वह ऐप बेस्ड प्रीमियम बस सर्विस का मसला उठाएंगे और इस मसले पर काम रोको प्रस्ताव लाएंगे। हमने इस सर्विस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, हम सरकार से सदन में पूछेंगे कि वह बताए कि इस सर्विस की खासियत क्या है। विजेंद्र के अनुसार सेशन में पानी के टैंकरों की खरीद घोटाले पर भी चर्चा करवाने की मांग करेंगे। नेता प्रतिपक्ष के अनुसार अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम सदन में पुरजोर विरोध करेंगे।

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