वस्तु प्रवेश कर: न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई शुरू की
|पीठ आज जैसे ही सुनवाई के लिए बैठी अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने गुहार की कि वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: विधेयक के पारित होने तक इस मामले को रोक लिया जाए। इस मामले में जिस कर कानून को चुनौती दी गई है वह प्रस्तावित विधेयक में सम्मिलित हो जाएगा।
हालंाकि न्यायालय ने सुनवाई जारी रखने का फैसला किया और कहा कि इसमें जटिल कर मुद्दे शामिल है।
इस पीठ में न्यायाधीश ए के सिकरी, न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश शिव कीर्ति सिंह, न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायाधीश आर भानुमति, न्यायाधीश ए एम खानविलकार, न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायाधीश अशोक भूषण शामिल हैं।
न्यायालय ने कहा कि राज्यों द्वारा पहले लगाए गए शुल्कों से जुड़े मुद्दे इस मामले में निपटाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकारें, एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तु :माल: की आवाजाही पर प्रवेश शुल्क लगाती हैं। यह शुल्क उस राज्य द्वारा लगाया जाता है जिसे वस्तु या माल मिलता है।
विभिन्न कंपनियों ने अनेक राज्यों के प्रवेश कर प्रावधानों को चुनौती दी है। इस मामले में कुछ कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे बहस की अगुवाई कर रहे हैं।
पीठ इस मामले में 1960 व 1962 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित दो फैसलों की समीक्षा करेगी।
वेदांता एल्युमिनियम, एस्सार स्टील, टाटा स्टील व अडानी इंटरप्राइजेज सहित अन्य कंपनियों तथा ओडि़शा सरकार द्वारा दाखिल मामलों की सुनवाई के दौरान इस मामले को वृहत पीठ के पास भेजने का फैसला किया गया था।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 26 सितंबर 2003 को इस मामले को पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के पास भेजा था। बाद में 16 अप्रैल 2010 को इस मामले को न्यायाधीशों की वृहत पीठ के पास भेज दिया गया।
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