लालू के जमावड़े से पहले दिल्ली में विपक्ष के आयोजन की रणनीति
|हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बीच मुलाकात में यूं तो बिहार की राजनीति और महागठबंधन के भविष्य पर चर्चा हुई, लेकिन पता चला है कि दोनों नेताओं के बीच विपक्षी एकजुटता को आगे बढ़ाने के अजेंडे पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को सुझाव दिया कि अगले महीने पटना में लालू यादव की रैली से पहले दिल्ली में सारे विपक्ष का जुटाव कर एक रैली का आयोजन किया जाए। जिसमें सभी दलों के प्रमुख नेताओं को बुलाने की बात भी हुई। जहां तक आयोजन व रैली के लिए मुद्दे की बात उठी तो किसान मुद्दा दोनों को सबसे उचित लगा। इतना ही नहीं,नीतीश ने इसके लिए कांग्रेस को पहल करने का सुझाव भी दिया।
बताया जाता है कि राहुल को यह आइडिया भा गया है और उन्होंने इस पर आगे बढ़ने का संकेत भी दिया। कहा जाता है कि मुलाकात के दौरान रैली की टाइमिंग को लेकर भी चर्चा हुई, जिसमें इसे मौजूदा माॅनूसन सत्र के खत्म होने के बाद करने की बात भी हुई। उल्लेखनीय है कि लालू यादव विपक्षी नेताओं व गैर बीजेपी सरकारों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर आगामी 27 अगस्त को पटना में एक विशाल रैली आयोजन करने जा रहे हैं। जिसमें उन्होंने विपक्ष के तमाम नेताओं को बुलाने की तैयारी की है। इस सिलिसले में उनकी तमाम विपक्षी नेताओं से बात भी हो गई है।
बिहार में मौजूदा हालात को देखते हुए नीतीश कुमार आरजेडी व लालू के साथ पूरी तरह से कोई कड़ा रुख भी नहीं अपनाना चाहते हैं। साथ ही, वह नहीं चाहेंगे कि महागठबंधन टूटने का ठीकरा उनके सिर फूटे। एेसे में इस कदम को लालू के आयोजन में विपक्षी एकजुटता का संदेश जाने से पहले कहीं और विपक्षी एकजुटता का मंच सजाने की कोशिश भी माना जा सकता है। इसके पीछे कहीं न कहीं सोच यह भी है कि लालू विशाल रैली की सरकार पर हमला बोलें और उसका श्रेय लें, उससे पहले विपक्ष पहले ही सरकार पर किसानों समस्या के बहाने आमजन से सीधे जुड़े मुद्दे को लेकर सरकार पर हल्ला बोल दे। उल्लेखनीय है कि किसान समस्या को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट है। इतना ही नहीं, खुद राहुल मध्य प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक इस मामले को उठाते रहे हैं।
बताया जाता है कि कांग्रेस इस अजेंडे को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। आने वाले समय में कांग्रेस के सीनियर नेता विपक्ष के तमाम दलों के नेताओं से बात करेंगे। जहां एक ओर इसमें ममता बनर्जी से लेकर शरद पवार, अखिलेश यादव व मायावती जैसे नेताओं को बुलाए जाने की बात है, वहीं नीतीश कुमार ने अपने भी शामिल होने का संकेत दिया है।
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