रॉयल्टी मुद्दे पर तेल कंपनियों के बजाय असम का समर्थन करेगा केन्द्र
|क्षेत्र की तेल कंपनियों के खिलाफ असम द्वारा कानूनी प्रक्रिया शुरू किये जाने की स्थिति वह असम के रख का समर्थन करेगा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान ने कल यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, आज हमारी बैठक में, हमने असम का समर्थन करने का वादा किया है। इस मामले में हम कानूनी रूप से आगे बढ़ेंगे। केन्द्र सरकार निश्चित तौर पर असम की मदद करेगी और कानूनी प्रक्रिया के बाद तेल कंपनियों से भुगतान करने को कहेगी।
उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2014 से जब उच्चतम न्यायालय ने गुजरात को अंतरिम सहायता उपलब्ध कराई थी तब से ऑयल इंडिया और ओएनजीसी पर असम का 1,450 करोड़ रपये बकाया है।
केन्द्र ने कंपनियों को पहले ही कह दिया है कि कानूनी प्रक्रिया के बाद राशि का भुगतान कर दें।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री तरण गोगोई पर हमला करते हुये प्रधान ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री स्वयं राज्य का प्रतिनिधित्व करते रहे है, ऐसे में मैं यह नहीं समझ पाया कि राज्य को इतना नजरंदाज क्यों किया गया जबकि राज्य और केन्द्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी।
उन्होंने कहा, मैंने जब तरण गोगोई से मुलाकात की, मैंने उनसे कहा कि मैं उनकी मदद करना चाहता हूं … उन्होंने एक याचिका दायर की और फिर दो साल तक कुछ नहीं किया।
असम सरकार ने रॉयल्टी के मुद्दे पर गुवाहटी उच्च न्यायालय में 2014 में एक याचिका दायर की थी।
दरअसल पेट्रोलियम मंत्रालय ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को उनके द्वारा उत्पादित कच्चे तेल को मार्केटिंग कंपनियों को बाजार मूल्य से काफी कम दाम पर आपूर्ति करने
के लिये कहता है। इसके बाद ये कंपनियां इसी घटे दाम पर राज्य सरकार को रॉयल्टी
का भुगतान करती हैं। जिससे राज्यों को राजस्व का काफी नुकसान होता है।
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