रेलवे मालभाड़ा बढ़ने से महंगा होगा अनाज
|[ माधवी शैली | नई दिल्ली ] रेलवे मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने फाइनेंशियल ईयर 2015-16 में अनाज के लिए मालभाड़े में 10 पर्सेंट की बढ़ोतरी का ऐलान किया है, जिससे गेहूं, चावल और दाल की कीमतें बढ़ सकती हैं। दाल कारोबारियों का कहना है कि मालभाड़ा बढ़ने से रिटेल लेवल पर कीमत 1-2 रुपये किलो तक बढ़ सकती है। वहीं, गेहूं और चावल के दाम में 50 पैसे से लेकर 1 रुपये किलो तक बढ़ोतरी होगी। मक्का, जौ और ज्वार के दाम भी बढ़ सकते हैं। नई दिल्ली के ग्रेन एनालिस्ट तेजिंदर नारंग ने कहा, ‘मालभाड़ा बढ़ने से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) पर बोझ बढ़ेगा। एफसीआई 6 करोड़ टन अनाज हैंडल करता है। अगर औसत मालभाड़ा 1,500 रुपये प्रति टन माना जाए तो इसमें बढ़ोतरी के चलते उसका खर्च करीब 900 करोड़ रुपये बढ़ सकता है।’ नारंग ने बताया कि जो रोलर फ्लोर मिल्स एफसीआई की ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं खरीदेंगी, वे मालभाड़े का बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं। इससे गेहूं की कीमत रिटेल लेवल पर 50 पैसे प्रति किलो तक बढ़ सकती है। रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सेक्रेटरी वीणा शर्मा ने बताया, ‘रेलवे मालभाड़े में बढ़ोतरी के चलते आटे की कीमत बढ़ना तय है।’ अभी देश भर में 1,500 फ्लोर मिलें आटा, मैदा और सूजी बनाने के लिए 2.2 करोड़ टन गेहूं प्रोसेस करती हैं। एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘अनाज की ढुलाई में 10 पर्सेंट की बढ़ोतरी प्राइवेट कंपनियों के लिए बहुत मायने रखती है। सरकार के किसानों से अनाज खरीदने के चलते पहले ही प्राइवेट कंपनियों को काफी दिक्कत होती है।’ चावल एक्सपोर्ट के लिए 75 पर्सेंट अनाज की ढुलाई रेलवे के जरिये होती है। इसलिए एक्सपोर्ट किए जाने वाले चावल की कीमत बढ़ सकती है। इस मामले में पट्टाभी एग्रो फूड्स के मैनेजिंग डायरेक्टर बी वी कृष्ण राव ने कहा, ‘मालभाड़े में 10 पर्सेंट बढ़ोतरी का असर डोमेस्टिक और एक्सपोर्ट मार्केट पर पड़ेगा। रिटेल मार्केट में जो चावल 20 रुपये किलो के भाव पर बेचा जा रहा है, उसकी कीमत 50 पैसे प्रति किलो तक बढ़ सकती है। इसी तरह से भारतीय वाइट राइस के लिए एक्सपोर्ट मार्केट में अभी दाम 350 डॉलर प्रति टन चल रहा है, जिसकी कीमत 2 डॉलर प्रति टन बढ़ सकती है।’ उन्होंने कहा कि अगर बड़े पैमाने पर अनाज ले जाना है तो रेलवे उसके लिए बेहतर है। राव ने कहा कि मालभाड़े में बार-बार बढ़ोतरी से बचना चाहिए। कंपनियों और ट्रेडरों का कहना है कि रेलवे के बाद ट्रांसपोर्टर्स भी मालभाड़ा बढ़ा सकते हैं। दाल का इम्पोर्ट करने वाली सिलिगुड़ी एसोसिएट्स के ट्रेडर सुनील बलदेव ने कहा, ‘हमारे पास कोई रास्ता नहीं है। हमें मालभाड़े का बोझ ग्राहकों पर डालना ही होगा।’
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