रुपये में गिरावट चिंता का कारण नहींः नीति आयोग
|नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मंगलवार को कहा कि रुपये की विनिमय दर में गिरावट चिंता का कारण नहीं क्योंकि रुपये की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) अब भी 5 से 7 प्रतिशत ऊंची है। मुद्रास्फीति को लेकर चिंता और कमजोर वैश्विक रुख समेत कई कारणों से रुपया प्रति अमेरिकी डॉलर 69 से भी कम हो गया था। कुमार ने कहा, ‘REER के संदर्भ में रुपया अब भी 5 से 7 प्रतिशत महंगा है। चिंता का का कोई कारण नहीं है। रिजर्व बैंक हमेशा कहता रहा है कि वह रुपये को किसी खास स्तर पर रखने को लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।’
वास्तविक प्रभावी विनिमय दर प्रमुख मुद्राओं की भारांकित मुद्रास्फीति सापेक्ष दर होती है। कुमार ने कहा कि विश्व के अन्य देशों के मुकाबले भारत में मुद्रास्फीति की दर अभी ऊंची है और इस हिसाब से रुपए की बाजार में चल रही विनिमय दर प्रभावी रूप से ऊंची है। कुमार ने कहा कि यूपीए-2 के दौरान वर्ष 2013 में रुपया तीन महीने में 57 रुपये से 68 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया और इसीलिए तुलना करना उचित नहीं होगा। वह रुपये को थामने के मुद्दे पर सरकार की विफलता को लेकर आलोचना का जवाब दे रहे थे। नीति आयोग की तरफ से विभिन्न क्षेत्रों में की गई पहल पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह भी कहा कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत और 2019-20 में 8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कुमार ने कहा, ‘वर्ष 2022 तक देश की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रहेगी और उसके बाद यह दर बनी रहेगी।’उन्होंने कहा, ‘हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के रवैये के करण दुनिया की अर्थव्यवस्था कुछ समस्याओं का सामना कर रही है। हम (भारतीय अर्थव्यवस्था) पूर्व के मुकाबले कहीं बेहतर स्थिति में हैं।’ नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में किसी भी सरकार ने इतना सुधार नहीं किया जितना कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार ने चार साल में किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले चार साल में पर्याप्त रोजगार सृजित हुए और अगले वर्ष इस समय तक हमारे पास एनएसएसओ द्वारा परिवार के बीच किए गए सर्वे का आंकड़ा होगा। एयर इंडिया में निवेश से जुड़े एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘सरकार पूरे मुद्दे को नए सिरे से विचार कर रही है।’ सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी में प्रस्तावित रणनीतिक बिक्री के लिए कोई बोलीदाता सामने नहीं आया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को मंजूरी दी है, यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में हो सकता है।
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