रिश्तेदार बोले- इनकी बेटी हाथ से गई:मां को ताने मिले- बच्ची से गलत काम कराती है; सफलता मिली तो वही रिलेटिव सोर्स लगाने लगे

“मेरे रिश्तेदार ही विलेन साबित हुए। जब मैंने इंडस्ट्री जॉइन की तो वे ताने देने लगे। पिता का बहुत पहले निधन हो गया था। रिश्तेदार मां के बारे में उल्टा-सीधा बोलने लगे। कहते थे कि पैसों के लिए बेटी से गलत काम कराती है।” यह बात कहते हुए एक्ट्रेस गीतांजलि मिश्रा के आंसू निकल आए। कई टीवी सीरियल और फिल्मों में नजर आ चुकीं गीतांजलि का शुरुआती समय बहुत कठिन था। उन्होंने कहा, ‘मैं एक वक्त पर खून के आंसू रोती थी। परिवार ने मेरे लिए एक सीमा रेखा बनाई थी। मैंने हमेशा उसके अंदर रहकर काम किया। बावजूद इसके लोग मेरे और परिवार के बारे में गलत बात करते थे। आज जब मैंने अपना नाम बना लिया है, तो वही रिश्तेदार मेरे आगे-पीछे घूमते हैं। अपने बच्चों का सोर्स लगवाते हैं, ताकि मैं उन्हें इंडस्ट्री में काम दिलवा दूं।’ अपने संघर्ष से लेकर सफलता की कहानी बताते हुए गीतांजलि कई बार इमोशनल हुईं। हालांकि उनके उत्साह और आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं आई। मां पहले घूंघट करती हैं, फिर दरवाजा खोलती हैं ‘मैं एक बिलो मिडिल क्लास ब्राह्मण फैमिली से आती हूं। वैसे तो मेरा जन्म मुंबई में हुआ था, लेकिन हमारी जड़ें बनारस से जुड़ी हैं। छोटी थी, तभी पिताजी का निधन हो गया था। मां ने ही अकेले पालन-पोषण किया है। मेरे घर की महिलाएं आज भी घूंघट करती हैं। अगर कोई डोर बेल बजाता है, तो मां पहले घूंघट करती हैं, फिर दरवाजा खोलती हैं। अब इससे समझ में आ गया होगा कि मेरी फैमिली में फिल्मों को लेकर क्या माहौल रहा होगा।’ घर में फिल्मी मैगजीन तक नहीं आती थी, क्योंकि फ्रंट पेज पर हीरोइनें छोटे कपड़ों में होती थीं ‘खैर फिल्मों की बात छोड़िए, मेरे घर में शो बिज वाली मैगजीन तक नहीं आती थीं। घर वालों को इससे प्रॉब्लम थी क्योंकि उनके पेज पर हीरोइनें छोटे कपड़ों में दिखती थीं। मुझे हमेशा कायदे में रहना बताया गया था। लीक से हटकर कुछ भी करने की आजादी नहीं थी।’ कॉस्मेटिक कंसल्टेंट बनना चाहती थी, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था ‘मैं पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉस्मेटिक कंसल्टेंट बनना चाहती थी। हालांकि किस्मत को कुछ और मंजूर था। मैं मुंबई में जिस बिल्डिंग में रहती हूं, वहां सीमा शर्मा नाम की एक महिला रहा करती हैं। वे टेलीविजन इंडस्ट्री में डायरेक्शन डिपार्टमेंट से जुड़ी हुई थीं। उनकी और मेरी अच्छी दोस्ती है। उन्हें सीरियल पिया का घर में डॉक्टर के रोल के लिए फीमेल आर्टिस्ट की जरूरत थी। उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने एक लड़की को उनके पास भेज दिया। सब कुछ फाइनल हो गया, लेकिन शूट वाले दिन वो लड़की सेट पर ही नहीं पहुंची।’ मेरे से गलती हो गई थी, इसलिए भरपाई भी मुझे ही करनी थी ‘चूंकि मैंने ही उस लड़की को रिकमेंड किया था। जाहिर सी बात है, जवाबदेही मेरी ही बनी। मेरे पास फोन आया कि तुमने किसको भेज दिया, अब शूट कैसे कम्प्लीट होगा? मैंने उनसे माफी मांगी। मैंने सीमा से कहा कि आप बताओ आखिर मैं क्या कर सकती हूं? उन्होंने कहा कि तुम खुद ही आओ और एक्ट करो। मैंने दूर-दूर तक एक्टिंग के बारे में सोचा नहीं था, लेकिन उस वक्त वहां जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।’ आलोक नाथ ने अचानक बुलाया, डरते हुए उनके पास गई ‘मैं डरते-सहमते हुए सेट पर गई। जिस सीरियल के लिए गई थी, उसकी स्टारकास्ट देखते ही मेरी आंखें चौंधिया गईं। आलोक नाथ, सुहासिनी मुले और सुलभा आर्या जैसे कई बड़े आर्टिस्ट सीरियल का हिस्सा थे। वहां पहुंचते ही मुझसे कहा गया कि ज्यादा समझाने का टाइम नहीं है, फटाक से स्क्रिप्ट पढ़कर शॉट के लिए रेडी हो जाइए। मैं करती भी क्या, पलभर में एक पन्ने की स्क्रिप्ट याद की और कैमरे के सामने बोल आई। शॉट खत्म होते ही लोग तालियां बजाने लगे। मैं ठहरी अनजान, समझ नहीं आया कि ये तालियां बज क्यों रही हैं। तभी आलोक नाथ जी ने मुझे बुलाया। मैं सहम गई, लगा कि मेरे से कोई गलती तो नहीं हो गई। उन्होंने कहा कि बेटा यह तुम्हारा पहली बार था? मैंने कहा- हां सर, मैंने पहली बार कैमरा फेस किया है। उन्होंने ताली बजाते हुए कहा कि तुमने बहुत बढ़िया काम किया है।’ दो साल तक एक्टिंग की तरफ दोबारा नहीं देखा, फिर इत्तफाक हुआ ‘खैर इसके बाद मैंने एक्टिंग की तरफ दो साल तक दोबारा मुड़कर नहीं देखा। फिर दो साल बाद पहले जैसा ही एक और इत्तफाक हुआ। एक बार फिर सीमा को मेरी याद आई। इस बार उन्होंने मुझे सोनी टीवी के शो ‘एक लड़की अनजानी सी’ के लिए बुलाया। उस शो में मैंने 6 महीने काम किया। इसके तुरंत बाद मुझे दूरदर्शन के एक शो में लीड का ऑफर मिल गया। अब धीरे-धीरे लगने लगा कि शायद मैं इसी काम के लिए बनी हूं।’ रिश्तेदार कहने लगे- मिश्रा जी की बेटी हाथ से गई ‘मैं सीमा दीदी (डायरेक्टर) के साथ ही सेट पर जाती थी और फिर उन्हीं के साथ घर लौट आती थी। इसकी वजह से मां को भी ज्यादा चिंता नहीं होती थी। वे जानती थीं कि मैं किसी गलत रास्ते पर नहीं जाऊंगी। हालांकि रिश्तेदारों को मेरा इंडस्ट्री जॉइन करना रास नहीं आया। वे कहने लगे- अरे, मिश्रा जी की बेटी हाथ से निकल गई। उसे बंबई की हवा लग गई।’ जिन्होंने कभी चरित्र हनन किया, आज अपने बच्चों का सोर्स लगवाते हैं ‘अब मजे की बात यह है कि जो लोग मुझे और मेरी मां को उल्टा-सीधा कहते थे, आज मिलने पर फोटो खिंचाते हैं। अपने बच्चों का सोर्स लगवाते हैं कि कहीं उन्हें काम दिलवा दूं। पड़ोसी भी मेरी मां को देखकर सम्मान देते हैं। कहते हैं कि आप गीतांजलि की मां हैं न? वे मां से मेरे सीरियल्स की चर्चा करते हैं। यह सब देखकर मुझे हंसी भी आती है, साथ ही सीखने को भी मिलता है। इससे सीख मिलती है कि अगर आप खून के आंसू रोए होंगे तो कभी न कभी वो आंसू मोती में जरूर तब्दील होंगे।’ जब एक बुजुर्ग महिला ने कहा- तुम्हें चप्पल से मारूंगी ‘मैंने क्राइम पेट्रोल और सावधान इंडिया के कई एपिसोड में काम किया है। वहां मैंने अधिकतर निगेटिव रोल्स किए हैं। एक बार मैंने इतना ज्यादा निगेटिव रोल कर दिया कि बाहर लोग मुझे आड़े हाथों लेने लगे। एक दिन मॉल में घूम रही थी। तभी एक बुजुर्ग महिला मेरे पास आकर कहने लगीं- शर्म नहीं आती है तुझे, तू इतना खराब काम कैसे कर सकती है? चप्पल निकाल कर मारूंगी। महिला की बात सुनकर मैं कुछ देर के लिए शॉक्ड रह गई। थोड़ा बुरा भी लगा। सोचने लगी कि क्या मैं इतना गंदा रोल करती हूं? हालांकि बाद में एहसास हुआ कि महिला की बात को मुझे एक कॉम्प्लिमेंट के तौर पर लेना चाहिए। शायद मैंने स्क्रीन पर इतनी अच्छी एक्टिंग कर दी कि लोग रियल लाइफ में भी मुझे वही समझने लगे।’ ______________________ बॉलीवुड से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें.. 1- मनोज बाजपेयी के लिए लकड़ी से बना पाया सूप; दीपिका ने बनवाया था बिना आलू का समोसा फिल्मों और ऐड में जो फूड आइटम्स दिखाए जाते हैं, वो ज्यादातर नकली होते हैं। एक बार दीपिका पादुकोण को स्क्रीन पर समोसा खाते दिखाना था। उन्होंने शर्त रखी कि समोसा तभी खाएंगी, जब उसमें आलू और मैदा न हो। तब फूड स्टाइलिस्ट ने शकरकंद और आटे की मदद से समोसा तैयार किया था। पूरी खबर पढ़ें.. 2- नुक्कड़-नाटक करके 75 रुपए कमाते थे ‘हप्पू सिंह’:मुंबई की ट्रेन छूकर खुश हो जाते थे 2004 में राठ का रहने वाला एक 23 साल का नौजवान लड़का एक्टर बनने का सपना लेकर मुंबई आया। चूंकि मुंबई में रहने का ठिकाना नहीं था, तो 4 रात स्टेशन पर रहा। आगे काम की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। पूरी खबर पढ़ें..

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