रिलायंस कम्युनिकेशन्स ने एयरसेल के साथ विलय समझौता किया खत्म
|रिलायंस कम्युनिकेशन्स (Rcom) ने एयरसेल के साथ मर्जर समझौते को बीच में ही खत्म कर दिया है। कंपनी ने इसके लिए कानूनी और नीतिगत अनिश्चितता को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। अनिल अंबानी की कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि दोनों कंपनियों ने सहमति से मर्जर अग्रीमेंट को खत्म करने का फैसला किया है।
इस फैसले के पीछे कारणों के बारे में टेलिकॉम कंपनी ने रविवार को कहा, ‘कानूनी और नियामक अनिश्चितता की वजह से अत्यधिक देरी, निहित हितों की ओर से कई हस्तक्षेप, नीति निर्देशों से टेलिकॉम के लिए बैंक फाइनैंसिंग पर असर और इंडस्ट्री में आए बदलावों की वजह से यह निर्णय लिया गया है।’ बता दें एयरसेल के साथ मर्जर और ब्रूकफील्ड के साथ टावर सेल से कंपनी के कर्ज में 60% कमी की उम्मीद थी।
कंपनी की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि Rcom मोबाइल बिजनस के लिए दूसरे विकल्पों का मूल्यांकन करेगा। अंबानी की कंपनी ने उम्मीद जताई कि टावर और फाइबर संपत्ति के मुद्रीकरण के साथ स्पेक्ट्रम के बेहतर इस्तेमाल से कर्ज में 25,000 करोड़ रुपये की कटौती की जा सकती है।
कंपनी पर कुल 42,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसका स्पेक्ट्रम पोर्टफोलियो की कुल कीमत 19,000 करोड़ रुपये है। एयरसेल पर भी करीब 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।रिलायंस ने 14 सितंबर 2016 को अपने वायरलेस कारोबार की एयरसेल में विलय की घोषणा की थी। इस विलय के बाद वह देश की चौथी सबसे बड़ी दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनी बन जाती। नई कंपनी की सम्पत्तियां 65,000 करोड़ रपये से अधिक की और नेट वर्थ 35,000 करोड़ रुपये की होती।
रिलायंस कम्युनिकेशन्स को एयरसेल के साथ विलय के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई से मंजूरी मिल चुकी थी। तय किया गया था कि विलय के बाद बनने वाली नई कंपनी में रिलायंस और एयरसेल लिमिटेड मैक्सिस कम्युनिकेशन्स बरहाद की 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी। इसी के साथ निदेशक मंडल और समिति में भी दोनों का प्रतिनिधित्व समान होगा।
तय किया गया था कि इस विलय के बाद दोनों कंपनियां नई संयुक्त कंपनी को 14,000 करोड़ रुपये का ऋण हस्तांतरित करेंगी और इस प्रकार नई कंपनी पर कुल 28,000 करोड़ रुपये का कर्ज होगा। इस विलय से रिलायंस का ऋण बोझ 20,000 करोड़ रुपये और एयरसेल का 4,000 करोड़ रुपये कम हो जाता।
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