रिटर्न नहीं फाइल करने पर 7 साल तक की जेल
|बाबर जैदी | नई दिल्ली फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली का दूसरा बजट टैक्सपेयर्स के लिए मिला-जुला रहा। छोटी और मिडल इनकम वालों को जहां इनकम टैक्स की धारा 80सीसीडी के तहत अतिरिक्त टैक्स छूट मिलेगी, वहीं सुपररिच टैक्सपेयर्स को और ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। बजट में 1 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा इनकम वालों के लिए सरचार्ज में बढ़ोतरी की गई है। 10 लाख रुपये महीना कमाने वालों को हर महीने अतिरिक्त 5,800 रुपये का टैक्स देना होगा। बजट में टैक्स नियमों से जुड़ी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए भी छोटे कदम उठाए गए हैं। टैक्स-फ्री ट्रांसपोर्ट अलाउंस लिमिट को 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये प्रति महीना कर दिया गया है। ट्रांसपोर्ट अलाउंस लिमिट में बढ़ोतरी का फैसला 18 साल के बाद हुआ है। इस बाबत 800 रुपये की सीमा अगस्त 1997 में तय की गई थी। इस तरह की कई अन्य सीमाओं को फाइनेंस मिनिस्टर ने नहीं छुआ है। टैक्स-फ्री लिमिट में बढ़ोतरी से 30 फीसदी की सबसे ऊंची कैटेगरी के टैक्सपेयर्स को 2,966 रुपये की बचत हो सकेगी। 20 फीसदी की टैक्स कैटेगरी वालों का टैक्स 1,978 रुपये कम होगा और सबसे कम यानी जो लोग 10 फीसदी टैक्स देते हैं, उनके लिए सिर्फ 989 रुपये की टैक्स कटौती मुमकिन होगी यानी 82 रुपये प्रति महीना। बजट मे ब्लैक मनी को खत्म करने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं। 1 लाख से ऊपर के सभी ट्रांजैक्शन के लिए पैन कार्ड जरूरी कर दिया गया है। Taxspanner.com के को-फाउंडर और सीएफओ सुधीर कौशिक ने बताया, ‘यह सही फैसला है, लेकिन इस साहसिक फैसले को अमल में लाना बेहद जरूरी है, ताकि इसके बेहतर नतीजे मिल सकें।’ बजट में टैक्स चोरी पर सख्त प्रावधान किए गए हैं। फॉरेन एसेट्स के बारे में नहीं बताने पर 10 साल तक की सजा और छुपाए गए इनकम का 300 फीसदी तक जुर्माना हो सकता है। यहां तक कि टैक्स रिटर्न नहीं फाइल करने और टैक्स रिटर्न में गलत जानकारी देने पर 7 साल तक की जेल हो सकती है। बजट में बड़ी राहत वेल्थ टैक्स मोर्चे पर दी गई है। सरकार ने वेल्थ टैक्स हटाने का फैसला किया है। अगर अन-प्रॉडक्टिव एसेट्स (गोल्ड, खाली घर, लग्जरी कार, यॉट, महंगी घड़ियां, कैश आदि) की वैल्यू 30 लाख से ज्यादा होती है, तो वेल्थ टैक्स देना पड़ता है। 30 लाख से ऊपर की राशि पर 1 फीसदी वेल्थ टैक्स लगता है। टैक्स का आकलन करते वक्त ऐसे एसेट्स के लिए लिए गए लोन की बकाया राशि में से यह रकम काट ली जाती है।
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