राजनीति में महिलाएं और 1/4 हिस्सेदारी.. खत्म हो रही लकीर की फकीरी

नई दिल्ली। यह धारणा अब खत्म हो रही है कि राजनीति महिलाओं की रुचि का विषय नहीं है। अब कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां की संसद में पुरुषों से अधिक महिलाएं हैं। लेकिन यह भी सच है कि कुछ देशों के हालात अभी भी बहुत खराब हैं। भारत में ही नागालैंड और पुडुचेरी की गिनती ऐसे राज्यों में है, जहां एक भी महिला विधायक नहीं है। दुनियाभर की संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 22.5 फीसदी ही है। अफ्रीकी देशों में महिलाएं अधिक सांसद चुनी जा रही हैं, जबकि एशिया में औसतन सिर्फ 19 फीसदी महिलाएं ही संसद में पहुंच रही हैं। समस्या यह है कि लंबे समय से संसद में महिलाओं की बढ़ोतरी में खासा अंतर नहीं देखा गया। कारण को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं। कोई इसे पुरुषों के वर्चस्व का तो महिलाओं की अरुचि का परिणाम मानता है।    हाल ही में विद्यादेवी भंडारी को नेपाल की पहली महिला राष्ट्रपति चुना गया है। राष्ट्रीय राजनीति में महिलाओं की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है। विभिन्न देशों की संसद में इनकी आवाज धीमी ही सही, लेकिन गूंज जरूर रही है।    – 1924 में निना बैंग किसी देश (डेनमार्क) की…

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